Crop Frost Protection: पाले से सरसों फसलों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए, कैसे नुकसान पहुंचता है, जानें आसान तरीका

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जानें सरसों या फिर अन्य फसलों को पाला से सुरक्षित रखने के तरीके, Crop Frost Protection

हमारे देश में बहुत से ऐसे क्षेत्र जहां पर ठंड अपना प्रकोप दिखने लगी है। किसानों के द्वारा अपनी फसल में अच्छे उत्पादन के लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसके अलावा किसानों के द्वारा अपने सरसों की फसल में समय पर सिंचाई के साथ-साथ खाद भी डाल रहे हैं लेकिन कई बार किसानों को कई तरह की समस्या देखने को मिलती है उसमें से एक समस्या है सर्दी के मौसम में फसल को पाला मारना।

Crop Frost Protection: किसानों को अपनी सरसों की फसल में लगने वाले कीट की रोकथाम करने के साथ-साथ दिसंबर महीने से शुरू होकर फरवरी महीने तक अधिक ठंड का भी असर देखने को मिल सकता है जिसे फसल को पहले से भी खतरा रहता है। विशेष कर राजस्थान प्रदेश में सर्दी के मौसम में पाला सरसों की फसल के लिए सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।

मौजूदा समय में अब देश में धीरे-धीरे शीतलहर अपना जोर पकड़ रही है जिसके चलते पहाड़ी इलाकों से बर्फबारी होने के कारण मैदानी क्षेत्रों में ठंड तेजी से बड़ा है और ऐसे में किसानों को जो सरसों की फसल लगाई है उसके लिए मुसीबत बन सकता है।

Crop Frost Protection: ऐसे में किसानों को अपनी सरसों की फसल को सुरक्षित रखना बहुत आवश्यक जिसके लिए किसानों को क्या-क्या तरीके से अपनी फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है। आईए जानते हैं सरसों को पाला से सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित तरीके…

सरसों फसल में पाला से कितना नुकसान

हमारे देश में किसानों के द्वारा सरसों की फसल बहुत लंबे समय से खेती कर रहे हैं लेकिन किसानों को सरसों की बुवाई करते समय ही उन्नत बीच प्रजाति के लेने चाहिए और स्वस्थ होने चाहिए जो की आगामी दिनों में शीत लहर या फिर पाले से सर्दी के मौसम में नुकसान देखने को मिल सकता है। सर्दी के मौसम में फसलों को गेहूं के अलावा सरसों, चना, आलू की फसल में 80 से लेकर 90% तक भी नुकसान हो सकता है : Crop Frost Protection

 

Crop Frost Protection: पाले से सरसों फसलों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए, कैसे नुकसान पहुंचता है, जानें आसान तरीका
Crop Frost Protection

 

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फसल को पाला पड़ने पर क्या असर होता है

1). सर्दी के मौसम में पाले के प्रकोप से फल मरने लगता है और फूल भी झड़ने लगता है।

2). पाला पड़ने वाली फसल का रंग हरे रंग से बदलकर पत्तियां मिट्टी के रंग जैसा दिखाई देने लगता है

3). वही पौधों के पत्ते सड़ने से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का असर भी बढ़ सकता है

4). सरसों की फसल के पौधे, फूल व फल सूखने लगते हैं, फलों में ऊपर धब्बे दिखाई देते हैं और स्वाद भी अच्छा नहीं रहता।

5. जिस सरसों पर पाला का प्रकोप हुआ है वहां पर किट का प्रकोप भी बढ़ने लगता है।

6). पाला का प्रकोप होने से ज्यादातर पौधों के फूल, फल नीचे करते हैं और पैदावार सीधा असर रहता है।

पाला से बचाव के लिए क्या उपाय करेंगे?

किसानों को अपनी सरसों की फसल को पहले से बचाव के लिए सल्फर युक्त रसायनों का उपयोग लाभदायक रहता है। वहीं किसानों को थायो यूरिया 0.1 % या फिर इसके अलावा डाइमिथाइल सफ्लो ऑक्साइड का 0.2% छिड़काव फसल पर करें और यह प्रक्रिया 15 दिन पूरा होने के बाद एक बार फिर दोहराएं। वहीं किसानों को इसके अलावा जब शीत लहर चले , उस समय पर फसल में हल्की सिंचाई करना चाहिए।

 

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