गेहूं का नया प्रजाति का बीज विकसित, जानें Wheat New Variety K-2010 में क्या क्या है खासियत…
Wheat New Variety K-2010: हमारे देश में कई राज्य में ऐसे स्थान है जहां पर लवणीय व क्षारीय भूमि (ऊसर जमीन) होने के चलते किसान काफी परेशान रहते हैं। क्योंकि गेहूं या फिर अन्य फसलों का उत्पादन नहीं हो पता। जिसके चलते कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा गेहूं के एक नए किस्म तैयार किया गया है। और इस गेहूं की वैरायटी से किस लवानिया वैशाली भूमि में भी उत्पादन प्राप्त कर पाएंगे।
बता दें कि गेहूं की नई प्रजाति विकसित कानपुर के वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया है। जिसमें कम समय में अधिक उत्पादन मिलने के अलावा किट व रोगों से नुकसान भी नहीं होगा। गेहूं का यह नया वैरायटी को के-2010 (Wheat New Variety K-2010) के नाम से जाना जाएगा और इस गेहूं की किस्म का बीज भी किसानों को अगले वर्ष से मिलना शुरू हो जाएगा।
Wheat New Variety K-2010: गेहूं का यह नया वैरायटी को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के वैज्ञानिक की ओर से विकसित किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की इनकम को बढ़ाने के साथ-साथ खेती में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए रिसर्च किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों के लिए टीम की ओर से गेहूं की दो और अच्छी किस्म के-1616 और के-1006 तैयार किया गया था। इसके बाद से लवणीय व क्षारीय भूमि के लिए एक और नई किस्म को तैयार किया गया है। गेहूं के इस किस्म को लेकर विवि के बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॉ. विजय कुमार यादव के अनुसार तकरीबन 8 वर्ष तक रिसर्च के बाद से इन भूमि के लिए या गेहूं का व्यक्त किया गया किस्म के-2010 जिसको केंद्र के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा भी मानता दिया गयाहै। और किसानों को अगले साल वैज्ञानिकों की ओर से बी भी तैयार हो जाएगा।
मिलेगा ज्यादा तापमान में भी अच्छा उत्पादन
उन्होंने बताया कि लवणीय व क्षारीय भूमि में गेहूं की फसल पर अधिक तापमान से ज्यादा नुकसान देखने का मिलता है। और मौजूदा समय में जो भी किस्म इस भूमि के लिए तैयार की गई है उनमें अधिक तापमान होने पर दाने का आकार सिकुड़ने लगता है लेकिन के-2010 गेहूं वेराइटी में अधिक तापमान में भी दाने सिकुड़ते नहीं है।
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गेहूं का विकसित किया गया नया किसान उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, अलीगढ़, आगरा मंडल के किसानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा। और इस गेहूं का बीज आगामी वर्ष मिलन आरंभ होगा जिसके चलते तकरीबन 4.5 लाख हैक्टेयर भूमि में खेती करने वाले किसानों को लाभ मिलने वाला है और यह गेहूं का किम कम समय में यानी 125 दिन में ही पकड़ तैयार हो जाएगी।
अन्य किस्म में अधिक पैदावार
बता दे कि डॉ. विजय के अनुसार गेहूं किस्म के-2010 में चेक प्रजाति के मुकाबले में उत्पादन 9.75% ज्यादा हुआ। इस गेहूं किस्म का चेक केआरएल-283 से किया गया।
किसानों जो कि लवणीय व क्षारीय भूमि में गेहूं की फसल बुवाई करते हैं। उनके लिए सीएसए विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. आनंद कुमार सिंह ने कहा कि ये गेहूं के 2010 प्रजाति लवणीय व क्षारीय क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है।। इसके अलावा इसमें किसानों को किट और रोग से बचाव होगा।
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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती पर जाना Wheat New Variety K-2010: कृषि वैज्ञानिकों ने की गेहूं की नई किस्म तैयार, 125 दिन में मिलेगा बंपर पैदावार। अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु अपने आसपास के नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करें।