किसानों को जलवायु परिवर्तन और कम पानी में ज्यादा उत्पादन देने वाली 3 नई किस्म सबसे बढ़िया गेहूं की वैरायटी कौन सी है, जानें (3 Nai Gehu Ka Variety Details) पूरी डिटेल
3 Nai Gehu Ka Variety Details: देश के किसानों को जलवायु परिवर्तन के चलते अपनी फसल में कभी अधिक तापमान तो कभी सुख और बाढ़ की स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिसके चलते उत्पादन में अनुमान के मुताबिक नहीं मिल पाता। और जलवायु परिवर्तन के चलते लगातार 100 के जैसी या बढ़ या फिर तापमान बढ़ने की समस्याएं देखने को मिलती है जिसके चलते किसानों को अपने द्वारा बोई जाने वाली फसल में कभी अंकुरण तो कभी विकास और कम उपज मिलने से जुड़ी हुई समस्याएं रहती है।
3 Nai Gehu Ka Variety Details: किसानों की इन चुनौतियों को निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा भी लगातार जलवायु सहनशील उन्नत किस्म को तैयार किया जा रहा है जो किस्में तापमान में हो रहे उधर चढ़ा के साथ-साथ पानी की कमी होना जैसी स्थिति में भी अधिक पैदावार देने में सक्षम होगी। बता दे की इसको लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) जलवायु सहनशील किस्म को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है और किसानों को सहनशील किस्म की खेती करने के लिए भी सलाह दी जा रही है।
आईसीएआर के द्वारा तीन गेहूं की किस्म को विकसित किया गया है जो कि किसानों को काम अपने सो के स्थिति में भी अच्छी उत्पादन देने के साथ-साथ तापमान में उतार चढ़ाव को भी सहन करने की क्षमता रहती है। बता दे की संस्थान के द्वारा विकसित की गई इन तीन किम को पहाड़ी क्षेत्र के लिए सुझाव दिया गया जिसमें हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर उत्तराखंड का क्षेत्र शामिल है जहां पर यह किस सुख के प्रति सहनशील होने के साथ-साथ तापमान में आए बदलाव के बाद भी अच्छा उत्पादन दे सकता है। जलवायु परिवर्तन और कम पानी में ज्यादा उत्पादन देने वाली 3 नई किस्म सबसे बढ़िया गेहूं की वैरायटी कौन सी है, जानें (3 Nai Gehu Ka Variety Details) पूरी डिटेल
1. गेहूं का किस्म एचएस 507 (पूसा सकेती)
Wheat variety HS 507 Details:- यह एचएस 507 (पूसा सकेती) वैरायटी को आईसीएआर-आईएआरआई के शिमला केंद्र की ओर से किसानों के लिए विकसित किया गया गेहूं का किस्म है जो कि विशेष रूप से पहाड़ी राज्यों में होने वाले जलवायु सहनशील व सूखा सहनशील गेहूं का वैरायटी है।
गेहूं की पूसा सकेती किस्म को किसान वर्षा आधारित क्षेत्र में या सिंचित क्षेत्र में बुवाई कर सकते हैं। जिसमें गर्मी को सहन करने वाली किस्म है।
यह HS 507 गेहूं का किस्म को किस पहाड़ी क्षेत्र के निचले मध्यवर्ती हिस्सों में बुवाई कर सकते हैं जहां पर सिंचित्ती असंचित भूमि के लिए भी सही रहेगा और जलवायु परिवर्तन और बढ़ते हुए तापमान में भी अच्छा उत्पादन अच्छी होती हैं।
क्योंकि इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता की बात करें तो यह पत्ता झुलसा, पीले, भूरा रतुवा व करनाल बंट रोग के भी प्रतिरोध है।
गेहूं का वैरायटी एचएस 507 को बुवाई करने पर पकने में समय 170 दिन से 175 दिन में प्रति एकड़ जमीन में 24 से लेकर 25 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त होगा। वहीं इस किस्म के पौधों की लंबाई करीब 95 सेंटीमीटर का होता है।
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2. गेहूं का किस्म एचएस 562 की खासियत जानें
Wheat variety HS 562 Details:- यह गेहूं एचएस 562 वैरायटी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा रीजनल सेंटर शिमला द्वारा तैयार किया गया सूखा व जलवायु सहनशील होने के साथ-साथ अधिक उत्पादन देने वाली किस्म जो की वर्षा और संचित दोनों ही स्थिति में पहाड़ी क्षेत्र के लिए अच्छी मानी जाती है। गेहूं का स 562 वैरायटी को पहाड़ी क्षेत्र के उत्तरी भाग के लिए समय पर बिजाई के लिए बेहतर उत्पादन देगी और इसके अंदर पीले धारीदार रोग, पीले और भूरे रतुए के प्रति प्रतिरोधी माना गया है।
उपज प्रति एकड़: गेहूं की इस वैरायटी HS 562 को बुवाई करने के लिए उपयुक्त स्थान उत्तराखंड, हिमाचल व जम्मू कश्मीर के लिए माना गया है और इस गेहूं की बुवाई समय पर करने पर किसानों को 25 क्विंटल के करीब प्रति एकड़ उत्पादन मिलेगा।
3. गेहूं का किस्म एचपी 349 की विशेषताएं
Wheat variety HP 349 Details: ये गेहूं एचपी 349 वैरायटी को हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के द्वारा तैयार किया गया गेहूं किस्म जोकि जलवायु परिवर्तन और सूखे के प्रति सहनशील माना गया है।
गेहूं का HP 349 वैरायटी की उपज की बात करें तो यह करीब 25 क्विंटल प्रति एकड़ में उत्पादन देने वाली जिसकी बालियां अच्छे तरह से भरा हुआ दाना रहता है।
गेहूं के इस वैरायटी में पौधों की लंबाई की बात करें तो यह करीब 85 से 100 सेंटीमीटर जोकि सामान्य किस्म के गेहूं से ज्यादा होता है।
किसानों को जलवायु अनुकूल किस्म क्यों अपनाना चाहिए
बीते कुछ वर्षों में देखा जाए तो अक्टूबर व नवंबर महीने में तापमान में वृद्धि देखने को मिली है जिससे गेहूं बुवाई के समय अधिक तापमान से बीज सही से अंकुरण नहीं हो पाता। क्योंकि इस समय कई बार भूमि में नमी कम रहता है और अधिक गर्मी से सीधा असर फसल पर देखने को मिलता है।
इसके साथ ही जब मार्च और अप्रैल का महीना में भी बीते कुछ वर्षों में मार्च और अप्रैल महीने में ज्यादा तापमान के चलते भी गेहूं में दाना सही से आकर नहीं ले पाता जिससे सीधा असर पैदावार पर पड़ता है। और गुणवत्ता भी अच्छी नहीं रहती जिससे किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है ऐसे में किसानों को जलवायु के अनुकूल किस्म का चयन करने के साथ-साथ अपने क्षेत्र में कौन सा किस्म सही रहेगा। पने जमीन के अनुसार बीच का चुनाव कर ही बिजाई करने से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती पर जाना 3 Nai Gehu Ka Variety Details:- कम पानी में ज्यादा उत्पादन 3 नई किस्म सबसे बढ़िया गेहूं की वैरायटी कौन सी है, जानें पूरी डिटेल । अधिक जानकारी हेतु कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जसवंत है। मैं सुपर खेती (Super Kheti) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों अपनी कृषि से जुड़ी सभी फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दिया जाता है। मैं किसानों के लिए ताजा न्यूज और योजनाओं के बारे में आर्टिकल लिखना पसंद करता हूं। मैं लगातार 3 साल से वेबसाइट पर काम कर रहा हूं।