इन दिनों करीब फसल की कटाई का कार्य किसानों के द्वारा जोर-शोर से हो रहा है और विशेष कर धान की फसल पककर तैयार हो चुकी है। और बहुत से क्षेत्र में कटाई का कार्य भी पूरा होने को है लेकिन जो धान की फसल कटाई के बाद परली या फसल अवशेष शेष रहता है। Strict Orders Stubble Burning उसका मुद्दा अब हरियाणा प्रदेश में सुर्खियों बना हुआ है। किसानों के द्वारा अपनी आगामी फसल बुवाई को लेकर तैयारियां चल रही है और ऐसे में किसानों के द्वारा पराली जलाने का मुद्दा बीते कुछ सालों में काफी बढ़ गया है।
Strict Orders Stubble Burning
जिसको लेकर अब हरियाणा प्रदेश में कृषि विभाग की ओर से एक निर्देश जारी किया गया। जिसमें यह कहा गया है कि किसानों के द्वारा प्रणाली जल रहे हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ-साथ खेत के रिकॉर्ड को भी एक लाल निशान लगाया जाएगा और पराली जलाने वाले किसानों को आगामी दो सीजन के दौरान सरकारी खरीद से भी वंचित रहा जाएगा
Strict Orders Stubble Burning: बता दें कि यह आदेश बीते दो दिन पहले ही हरियाणा सरकार की ओर से निकल गया। जिसमें जो भी पराली को जलाएगा। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज होगी और अपनी फसल को मंडियों में नहीं बेंच पाएंगे। ऐसे में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से आदेश दिया गया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 संपन्न होने के बाद हरियाणा प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर नायाब सैनी ने अपना कार्यभार संभाला और उन्होंने पहली कॉन्फ्रेंस में कहा कि हरियाणा प्रदेश के किसान पराली ना जलाए। इसके लिए अधिकारियों उन्हें समझाएंगे।
सरकार के फैसले पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने क्या कहा
वही हरियाणा प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार के द्वारा जारी किए गए नए आदेश को गलत बताया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि प्रदूषण के आंकड़ों के माने तो पर्यावरण में पराली जलाने से बेहद कम प्रदूषण होता है और किसानों की ओर से पराली जलाना उनकी मजबूरी है। सरकार के द्वारा उन पर एफआईआर करने के अलावा जुर्माना लगाना या फिर रेड लिस्ट में करना कोई सही समाधान नहीं है।
किसान की पराली के लिए समाधान करने के लिए सरकार को सही कदम उठाना चाहिए और उन्हें पराली खरीदना व उसका बाकायदा msp भी तय करना होगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार की ओर से चुनावी वायदा किया था। कि किसानों से ₹3100 प्रति क्विंटल धान की खरीद की जाएगा। लेकिन मौजूदा समय में 3100 रुपए प्रति क्विंटल तो दूर किसानों को MSP भी नहीं मिल रही।
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