Sarso Ki Kheti: रवि सीजन में किसानों के द्वारा सरसों की फसल के लिए जोर-जोर से बुवाई का कार्य चल रहा है। इस रवि फसल में किसान कम समय में भी अधिक उत्पादन वाला प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए जिससे उन्हें उत्पादन अच्छा मिले। सरसों की फसल में किसानों को सही समय पर से बचाव करने के साथ-साथ सिंचाई सही समय पर करने की जानकारी होना आवश्यक है और इसके अलावा सरसों के बीच में तेल की मात्रा को बढ़ाया जाए इसके बारे में भी पूरी जानकारी होना चाहिए। क्योंकि सरसों की कीमत सरसों के तेल की गुणवत्ता के अनुसार भाव मिलता है।
सरसों की बुवाई, सिंचाई, कीट बचाव और सरसों तेल बढ़ाने के तरीका
Mustard Farming: गवार, बाजरा, मूंग, मोठ, धान, नरमा कपास की फसल की कटाई का कार्य चल रहा है और ऐसे में किस रवि की फसलों की तैयारी बीते कुछ समय से ही कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को तिलहन की फसल में कुछ आवश्यक बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। ताकि इससे कम समय में उत्पादन तो अच्छा मिलेगा ही साथ ही इसकी डिमांड हर महीने लगातार बनी रहती है। सरसों की फसल को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में कार्य कर रहे कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी की ओर से रवि की फसलों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। जोकि निम्नलिखित नीचे दिया गया।
सही समय और बीज का चयन करना
रवि के सीजन में सरसों की बुवाई के दौरान किसानों को कुछ आवश्यक बातों का ध्यान में रखते हुए सही किस्म के बीच की बुवाई करना आवश्यक है। सरसों बीज गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए। विजय करते समय खेत में पर्याप्त नमी के साथ-साथ सही मात्रा में उर्वरक व विजय करने का सही तरीका मालूम होना आवश्यक है। क्योंकि सरसों की फसल के पौधे शुरुआती तोर में कमजोर होते हैं और उन्हें सही मात्रा में खाद पानी और सिंचाई का ध्यान रखना चाहिए।
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कीट से बचाव करना
सरसों बुवाई करने के बाद किसानों को शुरुआती दोनों में फसल में कई तरह की किट दिखाई देते हैं जिसकी रोकथाम के लिए किसानों की ओर से 5 से 7 दिन बाद में ही फसल पर कीटनाशक पाउडर मिलाकर उपयोग में लाते हैं जिससे कट पर इसका असर नहीं हो पता।
ऐसे में किसानों को अपनी फसल में राख के साथ मेलाथियान का पाउडर मिलाकर उपयोग में ना ले बल्कि इसका सीधा ही फसल पर छिड़काव करेंगे तो किट से बचाव होगा। जिसके लिए किसान 4 किलो मेलाथियान पाउडर का छिड़काव प्रति एकड़ में कर सकते हैं।
सही समय पर सिंचाई करने का फैसला
देखा गया है कि अक्सर बहुत से ऐसे किसान जो अपने सरसों की फसल में जरूर से ज्यादा सिंचाई करते हैं। जिसके चलते फसल में फायदे की जगह नुकसान ज्यादा होता है क्योंकि सरसों के बगल में पानी की आवश्यकता कम रहती है। बहुत से किसानों के द्वारा सरसों की फसल बुवाई के 15 से लेकर 20 के बाद ही पहले सिंचाई कर देते हैं। सिंचाई करने के साथ ही किसान यूरिया खाद भी डाल देते हैं जिससे फसल के पौधों की बढ़वार तो होता है लेकिन बनने वाली फलियां की लंबाई कम रहती है जिसका सीधा असर उत्पादन पर रहता है और दाने का आकार भी नहीं बढ़ पाता।
ऐसे में किसानों को अपनी सरसों की फसल में पहले सिंचाई करते समय जरूरत के अनुसार ही करना चाहिए जब भी खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी हो तो सिंचाई नहीं करना चाहिए और जब सरसों के पौधों का रंग काला व मुरझाना आरंभ हो तो पहली सिंचाई करें तो अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।
सरसों तेल की मात्रा को बढ़ाना
किसानों को सरसों की फसल में अच्छी इन कीमत प्राप्त करने के लिए तेल की मात्रा को ध्यान में रखना चाहिए। क्योंकि अगर सरसों की फसल में अच्छी गुणवत्ता की तेल मिलता है। तो आपको बाजार में कीमत अच्छा मिलेगा। सरसों की फसल में तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए किसान सल्फर का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। क्योंकि बहुत से ऐसे किसान जो की सरसों की फसल में सल्फर का उपयोग में नहीं लेते जिससे तेल की मात्रा नहीं बढ़ पाती। ऐसे में किसानों को सरसों तेल बढ़ाने के तरीका में सरसों की पहली सिंचाई के बाद प्रति एकड़ 4 किलो सल्फर दानेदार का उपयोग में लाना आवश्यक है। अगर सल्फर दानेदार की बजाय पाउडर में होगा तो पत्तों पर गिरेगी जैसे नुकसान भी देखने को मिल सकता है ऐसे में किसानों को दानेदार सल्फर का उपयोग करना अच्छा रहेगा।
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Conclusion:- आज आपने जाना किसानों को सरसों की पहली सिंचाई पर करने चाहिए ये 3 काम, जानें सरसों तेल बढ़ाने के तरीका । किसी तरह की कीटनाशक दवा का उपयोग करने से पहले अपने नजदीकी कृषि विभाग में एक बार संपर्क जरूर करें।