धान की खेती (Dhan Ki Kheti) करने वाले किसान हो जाएं सावधान, फसल में फिजी वायरस (Fiji Virus in Paddy Crop) का प्रकोप होने पर करें यह उपाय….
धान फसल में फिजी वायरस (Fiji Virus in Paddy Crop)
धान की फसल के लिए रोपाई का कार्य संपन्न होने के बाद अब धान की फसल एक महीने से लेकर ढाई महीने के करीब हो चुका है। मौजूदा समय में बारिश का मौसम है और इस मौसम में रोग व कीट लगने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में किसानों को इन किट व रोग से बचाव के लिए महत्वपूर्ण समय-समय पर निगरानी करते रहना बेहद आवश्यक है।
बता दे इस बारिश के मौसम में धान की फसल में लगने वाले फिजी वायरस रोग का भी प्रभाव देखने को मिल रहा है। जिसका किसानों को समय पर नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। नहीं तो फसल में काफी ज्यादा भारी नुकसान देखने को मिल सकता है। फिजी वायरस के चलते धान की फसल में सीधा उत्पादन पर असर पड़ता है। जिससे किसानों को इनकम में काफी नुकसान होता है।
धान के पौधों का बौनापन (फिजी वायरस)
Fiji Virus in Paddy Crop: धान की खेती में फैलने वाली फिजी वायरस का मुख्य रूप से फैलने का कारण भूरे रंग का फुदका के द्वारा फैलता है। जिसको को यह तेजी से फसल अपनी फसल को चपेट में ले लेता है। इसी फिजी वायरस (बौनापन) के कारण ही धान की फसल के पौधों का आकार बौना टाइप का देखने को मिलता है। और पत्तियों का रंग पीला पड़ने के साथ ही सूखने लगते हैं।
धान की फसल के लिए फिजी वायरस एक गंभीर खतरा बन सकता है। क्योंकि इस वायरस के चपेट में आने से फसल में पौधों के दाने नहीं बनते या बनते हैं, तो बहुत कम मात्रा में बनते हैं। और इसके साथ-साथ गुणवत्ता में भी गिरावट आती है। यानी किसानों को इस वायरस की प्रकोप से पहले ही अपनी फसल को बचाना होगा। नहीं तो उन्हें भविष्य में उत्पादन में काफी गिरावट आ सकती है।
धान की फसल में लगने वाले इस वायरस की रोकथाम के लिए भूरे फुदके की रोकथाम बहुत जरूरी है। इसके लिए किसानों को वायरस आने से पहले ही अपनी फसल की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए इसे लगाम लगाना होगा। बता दें कि इस वायरस के चलते देश के दक्षिणी हिस्सों में प्रभाव देखने को मिलता था। लेकिन यह अब मौजूदा समय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है।
कौन सी धान की किस्म में है इसका असर
बता दे कि इन हिस्सों में pr113 वैरायटी धान की फसल में मुख्य रूप से इस वायरस के लक्षण देखने को मिले हैं। जिस कारण से किसानों के द्वारा बोई गई इस किस्म में काफी ज्यादा उत्पादन को लेकर मार पड़ी। अब किसानों को इस फिजी वायरस की रोकथाम के लिए धान की रोपाई करते समय ही से आवश्यक रूप से सावधानी बरतनी की जरूरत होगी।
फिजी वायरस की रोकथाम कैसे करें
जब भी धान की फसल 15 से 20 दिन की हो जाए और फिजी वायरस के लक्षण देखने को मिले तो किसानों को इसकी रोकथाम करने के लिए प्रति एकड़ में ढाई सौ लीटर पानी के साथ 100 ग्राम ओशीन या टोकन नाम की दवा बाजार में मिलता है उसका छिड़काव कर सकते हैं।
रोकथाम के अन्य उपाय
अपनी धान की फसल में से फिजी वायरस का असर हो उसकी रोकथाम के लिए किसानों को अपने खेतों के चारों ओर से बनी हुई मेड को बिल्कुल साफ रखना होगा और खरपतवार को भी बिल्कुल नहीं होने देना है। ऐसे में अगर किसान अपने खेत की साफ सफाई के साथ सही समय पर इस वायरस से बचाव करते हैं। तो निश्चित तौर पर उन्हें भारी नुकसान होने से बचाव होने में काफी मदद मिलेगी।
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Conclusion:- आज आपको हमने धान की फसल में होने वाले फिजी वायरस से क्या नुकसान हो सकता है और इसकी (Fiji Virus in Paddy Crop) रोकथाम के लिए किसानों को क्या क्या उपाय करना चाहिए और किन से कीटनाशक दवा का उपयोग कर सकते हैं। दवा का छिड़काव करने से पहले अपने नजदीकी कृषि विभाग से एक बार संपर्क जरूर करें।