Budding in Wheat Field: गेहूं में कल्ले बढ़ाने और अधिक फुटाव के लिए क्या डालें, जानें कृषि विशेषज्ञों की सलाह 

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गेहूं फसल में ज्यादा फ़ुटाव व कल्ले बढ़ाने के लिए क्या करें?, Budding in Wheat Field …

 

 

 

 

 

 

 

 

Budding in Wheat Field: हमारे देश में किसानों के द्वारा रबी व खरीफ सीजन में बहुत सी फसलों की खेती किया जाता है। जिसमें रबी के मौसम में सबसे ज्यादा किसान गेहूं की फसल लगाना पसंद करते हैं। और इस मौसम के लिए यह फसल सबसे उपयुक्त भी माना जाता है।

 

गेहूं की खेती के तरफ किसानों का लगातार रुक बढ़ रहा है। क्योंकि लगातार इसकी कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अन्य फसल जैसे सरसों की फसल में कम उत्पादन व अनेक मौसम की परेशानी को देखते हुए किसानों का रुख गेहूं की फसल के और अधिक हुआ है।

 

गेहूं का फसल अब बुवाई का कार्य लगभग पूरा होने के बाद अगेती गेहूं 1 महीने के करीब हो चुका है। और मौजूदा समय में गेहूं अच्छे स्थिति में दिखाई दे रहा है। लेकिन बहुत से ऐसे किसान जिनका गेहूं में खाद और सिंचाई करने के बाद भी समस्या रहती है कि गेहूं में कल्ले व फूटाव नहीं होता। जिसके चलते सीधा असर गेहूं की उत्पादन पर दिखाई देता है। 

 

 

 

बहुत से ऐसे किस साथी हमारे बताते हैं कि गेहूं की फसल में सब कुछ डालने के बाद भी कल्ले नहीं बन रहे हैं। अगर गेहूं की फसल में कल की संख्या में बढ़ोतरी नहीं होगी या फिर फुटाव नहीं होगा तो उत्पादन में गिरावट देखने को मिलता है। ऐसे में लिए कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस समस्या का क्या समाधान है आईए जानें…

 

 

 

गेहूं की खेती में जरूरी 

 

किसानों को गेहूं का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो इसके लिए उर्वरक के साथ-साथ न्यूट्रिशन का भी प्रयोग करना होता है। यह डालने के बाद गेहूं की फसल में समय पर सिंचाई करना भी वह जरूरी हो जाता है। जिससे गेहूं की फसल में कल्लों का फुटाव अच्छा व पौधों की बढ़वार भी अधिक रहता है। इसके अलावा किसानों को अपने खेतों में खाद और न्यूट्रिशन का उपयोग सही समय पर करना वह जरूरी होता है।

 

अगर किसान अपने खेत में सही समय पर खाद व न्यूट्रिशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। तो यह पूरी तरह से  खेत में काम नहीं कर पाएगा। अगर किसान अपने खेत में यह सब डालने के बाद भी कल्लों का फुटाव नहीं हो रहा है तो हमारे द्वारा बताए गए नीचे तरीके को अपनाकर अपने गेहूं के कल्लों का फुटाव बढ़ाया जा सकता है।

 

 

 

गेहूं की फसल में कल्ले बढ़ाने के लिए क्या करें?

 

 

किसान भाई जब भी अपने गेहूं की फसल में सल्फर, जिंक व मैग्नीशियम या फिर अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के इस्तेमाल कर लेते हैं। इसके बावजूद अगर फसल में कुछ खास असर देखने को नहीं मिलता या यूं कहे की ग्रोथ देखने को नहीं मिलती है। तो फिर इसका मुख्य वजह खेत में ऑर्गेनिक कार्बन की कमी हो सकता है। 

 

भूमि में पड़े तत्वों को पौधों तक पहुंचाने का कार्य ऑर्गेनिक कार्बन करता है। ऐसे में किसान बताए गए नीचे निम्नलिखित कार्य को भी कर सकते हैं।

 

गेहूं में कैल्शियम कब डालना चाहिए?

 

 

 

 

Budding in Wheat Field : कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अगर गेहूं के फसल में करले नहीं बन पा रहे तो किसान कैल्शियम नाइट्रेट का उपयोग में ला सकते हैं क्योंकि कैल्शियम की कमी होने के चलते पौधे जमीन से पोषक तत्वों को प्राप्त नहीं कर पाते और कल्लों का फुटाव अच्छे से नहीं होता है। ऐसे किसान अपने गेहूं की फसल में 10 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट प्रति एकड़ इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन किसानों को एक बात का अवश्य इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें की खेत में एक वर्ष होने के पश्चात गोबर की पुरानी गली सड़ी हुई खाद या फिर इसके अलावा अगर में कंपोस्ट खाद को आवश्यक उपयोग में लाएं।

 

 

किसानों को अपने गेहूं के खेत में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कि अफरीदी के लिए ह्यूमिक एसिड, वर्मी कंपोस्ट या फिर इसके अलावा सिविड जो की संगरिका के नाम से बाजार में मिलता है। उसका भी उपयोग में ला सकते हैं क्योंकि इसका उपयोग करने से जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है और जमीन में बड़े आवश्यक पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचने में कार्य करती है।

 

Budding in Wheat Field: गेहूं में कल्ले बढ़ाने और अधिक फुटाव के लिए क्या डालें, जानें कृषि विशेषज्ञों की सलाह 
Budding in Wheat Field

 

वही किसी विशेषज्ञ बताते हैं की फसल में कल्लों का फुटाव वृद्धि के लिए किसान गेहूं के फसल में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का स्प्रे द्वारा छिड़काव कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को मैग्नीशियम सल्फेट 1 किलो, चेल्टेड जिंक 100 ग्राम, यूरिया 1 किलो, मैंगनीज सल्फेट 500 ग्राम और बोरोन 100 को प्रति 100 लीटर पानी में अच्छी तरह से मिलकर प्रति एकड़ स्प्रे के द्वारा छिड़काव करें।

 

 

 जिंक व सल्फर का उपयोग 

 

 

Budding in Wheat Field: जमीन में सल्फर व जिंक दोनों ही काफी महत्व रखती है। और इन दोनों ही तरह के खाद को डालने पर एक खास तरह का गहरा संबंध है। अक्सर देखने को मिला है कि किसानों को इसकी जानकारी नहीं होता जिसके चलते किसान कभी भूमि में जिंक डालते हैं तो कभी सल्फर दोनों को एक साथ उपयोग में नहीं लाते।

 

 

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अगर भूमि में जिंक का उपयोग किया जाए और उसके साथ में सल्फर का उपयोग नहीं किया जाए। तो फिर फसल को जिंक काम नहीं करता। और आखिर में ऐसा क्या कारण है जो कि ऐसा नहीं हो पता ऐसे में किसानों को इसकी जानकारी आवश्यक रखना चाहिए। आप इस रिपोर्ट में आगे जान पाएंगे कि आखिर सल्फर और जिंक में ऐसा क्या संबंध है कि हमारी फसलों के लिए यह किस तरह से फायदा पहुंचता है।

 

जिन भूमि या यूं कहें की जमीन का पीएच 8 से भी अधिक रहता है उन खेतों में जिंक की मात्रा 15 से 20% तक काम करता है। वहीं अगर जमीन का पीएच लेवल 5 या फिर 7.5 बीच में होता है तो छींक डालने के अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे। भूमि में जिंक का करीब 60 से 70% कार्य करती है। और किसानों को जिंक का उपयोग अपने भूमि में मिट्टी के अनुसार करना चाहिए।

 

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सल्फर के साथ जिंक का उपयोग

 

 

 

 

Budding in Wheat Field | कोई भी जिंक सल्फर के बगैर नहीं बनता। आप बाजार में देखेंगे कि कोई भी जिंक ऐसा नहीं होगा जिसमें सल्फर की मात्रा ना पाई जाए। बता दें कि सल्फर भूमि में पीएच लेवल को कम करने का काम करती है जिसके चलते जिंक पौधों को पूरी तरह से मिल पाता है। क्योंकि जिस जमीन में फ अधिक होगा वहां पर जिंक कम मात्रा में घुल पाता है और पौधा उसे नहीं ले पाता।

 

जिसके कारण किसानों को जिंक डालने के बावजूद उसका पूरा फायदा नहीं मिलता है ऐसे में किसानों को कई बार जिंक डालने के बाद भी खेत में जिंक की कमी की पूर्ति नहीं हो पाती। 

 

किसानों को जब भी अपने खेत में जिंक का उपयोग करना हो तो उसके साथ में सल्फर पाउडर में आने वाली 3 किलोग्राम या फिर दानेदार 10 किलोग्राम का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। और ऐसा करने पर किसानों को जिंक का पूरा लाभ प्राप्त होगा। सल्फर के चलते पौधे को प्रोटीन की मात्रा व जिंक से पौधे को हरे भाग को बढ़ावा मिलता है। और ऐसे में किसानों को अपने फसल में अच्छे नतीजे देखने को मिलते हैं। 

 

 

वहीं अगर किसान की जमीन की मिट्टी का पीएच सही है तो फिर बगैर सल्फर के भी जिनका उपयोग में लिया जा सकता है। वही जिंक सल्फर को मिलाकर उपयोग करने से पौधे को जिंक जल्दी से प्राप्त होता है और किसानों का अच्छा लाभ प्राप्त होता है।

 

 

 

 

गेहूं की फसल में मैग्नीशियम का इस्तेमाल 

 

 

 

Budding in Wheat Field | बहुत से किसान के मन में यह विचार रहता है कि गेहूं की फसल में मैग्नीशियम का प्रयोग करें या फिर नहीं करें। और वे मैग्नीशियम डालने की बजाय अन्य तरह के ग्रोथ प्रमोटर दवा का उपयोग में लाते हैं।

 

फसल के पौधों को जिस प्रकार सल्फर व जिंक की आवश्यकता है इस तरह से मैग्नीशियम की आवश्यकता भी रहती है। बता दे मैग्नीशियम सेकेंडरी न्यूट्रिएंट्स में शामिल है। इसकी पौधों को कम मात्रा में जरूर रहता है लेकिन फसल के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सहायक है 

 

मैग्नीशियम से गेहूं की फसल होगी बेहतर 

 

 

 

 

Budding in Wheat Field | फसल में होने वाली कल्लों के फुटाव के अलावा फसल को हरा भरा करने में मैग्नीशियम के द्वारा भी बहुत से कार्य करता है। और किसानों को बाजार में मैग्नीशियम सल्फेट के नाम से प्राप्त होता है और इसमें मैग्नीशियम के साथ सल्फर भी पाया जाता है। इसकी मात्रा की बात की जाए तो मैग्नीशियम 9.5% और सल्फर 12% पाया जाता है। फसल में मैग्नीशियम की कमी होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं और इसको कब और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए लिए जानते हैं पूरी जानकारी…

 

गेहूं की फसल में मैग्नीशियम की कमी होने की पहचान किसानों को हमेशा से नीचे वाले पत्तियों को देखकर दिखाई देती है और मैग्नीशियम की कमी नीचे वाले पत्तों में हल्के पीले रंग की नजर आने लगते हैं। 

 

 

और ऐसा क्यों दिखाई देता है तो बता दें कि मैग्नीशियम पौधों में से क्रिया रूप से रहता है और नीचे से ऊपर की ओर पड़ता है और जो ऊपर की पट्टी है वह मैग्नीशियम को ऊपर की तरफ खींच लेती हैं जिससे मैग्नीशियम की कमी नीचे के पत्तियों में दिखाई देती है।

 

गेहूं की फसल में मैग्नीशियम का क्या कार्य है

 

 

 

 

 

Budding in Wheat Field | कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक मैग्नीशियम प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में वृद्धि करने के लिए पौधों की सहायता करता है और जिसके चलते फसल के पौधों में हरापन आता है। मैग्नीशियम को डालने पर फास्फोरस को सक्रिय करने करने में अपनी भूमिका निभाता है। और पौधों को फास्फोरस एक से दूसरे स्थान पर आसानी से प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

 

 फसल में कल्लों के फुटाव मैं मैग्नीशियम का एक महत्वपूर्ण भूमिका क्योंकि यह जमीन में पड़े पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाने का कार्य करता है। मैग्नीशियम के प्रयोग करने से किसानों को खेत में सल्फर की कमी की मात्रा भी कुछ हद तक पूरा होता है क्योंकि इसमें सल्फर भी पाया जाता है।

 

मैग्नीशियम गेहूं की फसल में कितना मात्रा में डालना चाहिए

 

 

 

Budding in Wheat Field : किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करें और उसके बाद ही मैग्नीशियम का उपयोग करें। और रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार ही उपयोग में लाना चाहिए। लेकिन आमतौर पर जो भूमि या मिट्टी में 6 से कम PH वाली होती है वहां पर मैग्नीशियम की कमी पाया जाता है।

 

 

 

 

 

Budding in Wheat Field | किसान मैग्नीशियम का इस्तेमाल मिट्टी के द्वारा या फिर पौधों पर सीधे स्प्रे द्वारा दोनों ही तरह से कर सकते हैं। ऐसे में अगर किसानों को मिट्टी में मैग्नीशियम सल्फेट का उपयोग करना है तो प्रति एकड़ 10 किलोग्राम का इस्तेमाल कर सकते हैं वहीं अगर किसान फसल पर स्प्रे के द्वारा मैग्नीशियम का उपयोग करते हैं तो इसके लिए प्रति एकड़ 1 किग्रा की आवश्यकता रहती है। वहीं मैग्नीशियम को किसान यूरिया या फिर अन्य खाद के साथ मिलाकर भी उपयोग में ला सकते हैं।

 

नोट :- किसानों को गेहूं में किसी भी तरह का खाद व उर्वरक डालने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करना चाहिए। ताकि सही से पोषक तत्वों का पता लगाया जा सके। Budding in Wheat Field इसके अलावा अपने नजदीकी कृषि विभाग के डॉक्टर से भी राय जरुर ले।

 

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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती वेबसाइट पर जाना Budding in Wheat Field गेहूं में कल्ले बढ़ाने और अधिक फुटाव के लिए क्या डालें, जानें कृषि विशेषज्ञों की सलाह। हमारे द्वारा आपको हर रोज सभी मंडी भाव, मौसम की जानकारी, सरकारी योजना और खेती की जानकारी दी जाती है। आप हमारे साथ WhatsApp या Teligram पर भी जुड़े। 

 

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