गेहूं बुवाई से पूर्व किसान जान लें संतुलित मात्रा में खाद का इस्तेमाल, Rabi Crop Fertilizer Dose…
Rabi Crop Fertilizer Dose: हमारे देश में अब रबी सीजन के लिए किसानों के द्वारा गेहूं की फसल की तैयारी शुरू हो चुका है। और सरसों, चना, मटर, आलू व अन्य फसलों की भी बुवाई का कार्य हो रहा है। और फसल में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों के द्वारा खाद व उर्वरक का इस्तेमाल किया जाता है।
किसानों के द्वारा अपने खेतों में फसल में उत्पादन को और अच्छा करने के लिए यूरिया, डीएपी, एनपीके या पोटाश के अलावा अन्य खाद उर्वरक का भी उपयोग में लिया जाता है। फसल में डालने वाली खाद के रूप में किसान बहुत से ऐसे जो कि अधिक मात्रा में डालते हैं। जिससे उत्पादन में गिरावट होने के साथ-साथ जमीन में नुक्सान के साथ साथ अनाज की गुणवत्ता पर भी काफी असर होता है। ऐसे में किसानों को खाद व औरतों का संतुलित मात्रा (Rabi Crop Fertilizer Dose) में ही प्रयोग में लाना चाहिए।
Rabi Crop Fertilizer: ऐसे में किसानों को अपने भूमि में खाद व उर्वरक के इस्तेमाल को लेकर कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर सलाह दी जाती है। ऐसे में किसानों को अपने भूमि में फसल के अनुसार खाद और उर्वरक की मात्रा कब और कितना डालना चाहिए कृषि विभाग के वैज्ञानिकों ने पूरी जानकारी के साथ बताया है
आइए जानें किसानों को अपनी भूमि में संतुलित मात्रा में खाद (Rabi Crop Fertilizer Dose) का उपयोग करने का सही तरीका क्या है।
कौन सा बेहतर है NPK या DAP उर्वरक?
किसानों के मन में अक्सर यह है सवाल रहता है कि डीएपी और एनपीके खाद में कौन सा खाद डालने पर अच्छा परिणाम प्राप्त हो सकता है। इसके बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार गेहूं फसल में किसी संतुलित मात्रा में खाद उर्वरक इस्तेमाल के लिए DAP के जगह पर एनपीके को डालना बेहतर माना है।
सिंचाई वाले क्षेत्र के लिए गेहूं की फसल में प्रति हेक्टेयर में मात्रा फास्फोरस 60 किलोग्राम, नाइट्रोजन 120 किलोग्राम व पोटाश 40 किलोग्राम की जरूरत होती है। फसल में अपनी आवश्यकता अनुसार किसान DAP के अतिरिक्त भी अन्य उर्वरक का उपयोग के चलते इसको पूरा कर सकते हैं।
वहीं एनपीके 187 KG, युरिया 213 KG, एमओपी 17 KG प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है। वहीं इसी प्रकार युरिया 260 KG, एसएसपी 375 KG, एमओपी 66 KG प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है।
डीएपी की जगह क्यो डालें एनपीके
किसने की जानकारी के लिए बता दें कि किसान कल्याण एवं कृषि विभाग उप संचालक श्री आरपीएस नायक के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बाजारों में किसानों को एनपीके का कई विकल्प जैसे 12:32:16, 10:26:26, 20:20:0:13 और 16:16:16 के रूप में मिलता है
और जब किसान फसल बुवाई में एनपीके से संतुलित मात्रा में पोषक तत्व की मात्रा डालते हैं। तो इसके उपयोग के अलावा अन्य खाद की मात्रा देने की जरूरत नहीं होगी।
जब किसान संतुलित मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं। तो उन्हें लागत कम होने के साथ-साथ बेहतर पैदावार मिलती है। ऐसे में किसानों को डीएपी खाद की जगह एनपीके खाद का उपयोग करें। और अपने भूमि की मिट्टी परीक्षण के मुताबिक संतुलित मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल करें।
उनके मुताबिक भारत सरकार की ओर से मृदा का स्वास्थ्य को सही रखने के साथ-साथ वातावरण प्रदूषित न हो इसको भी ध्यान में रखते हुए नैनो यूरिया और नैनो डीएपी खाद के इस्तेमाल करने की सलाह दिया जा रहा है।
ऐसे में किसानों को गेहूं की फसल में जब दूसरी व तीसरी सिंचाई करें तो दानेदार यूरिया की जगह पर नैनो यूरिया का उपयोग करना चाहिए। जिससे किसानों को लागत कम होने के साथ-साथ उत्पादन भी अच्छा मिलेगा।
किसानों के द्वारा रवि सीजन के बुवाई का कार्य आरंभ हो चुका है सम किस अच्छे और उन्नत किस्म बीच के साथ-साथ संतुलित पोषक तत्व को डालना भी आवश्यक है।
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जब किसानों को अपनी फसल में खाद डालने की आवश्यकता रहती है तो किस डीपी व यूरिया का उपयोग सबसे पहले करना पसंद करते हैं। लेकिन इन दोनों ही खाद में दो तरह के ही तत्व जैसे नाइट्रोजन और फास्फोरस मिलता है।वहीं फसल को अन्य जरूरी तथा जैसे सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटाश व अन्य पोषक तत्वों की भी आवश्यकता रहती है उसे पर ध्यान नहीं दे पाते।
किसान अपनी भूमि में जब डीएपी का इस्तेमाल करता है तो उसमें दो पोषक तत्व नाइट्रोजन 18% और फास्फोरस 46% ही मिल पाता है लेकिन जब किसान अपने भूमि में सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करते हैं। तो उन्हें 16% फास्फोरस भी प्राप्त होता है। इसके अलावा दो अन्य पोषक तत्व जैसे कैल्शियम 21% व सल्फर 11% भी प्राप्त होता है। वैसे किसने की जानकारी के लिए बता दें कि सुपर फास्फेट आजकल बोरोन और जिंक में भी उपलब्ध होता है। जिसमें पोषक तत्वों की पूर्ति जमीन में हो जाता है और अलग से किसानों को उपयोग नहीं करना पड़ता।
मिट्टी परीक्षण के आंकड़ों की माने तो भारत में मौजूदा समय में बोरोन, जिंक व गंधक की कमी देखने को मिल रही है। जिसका किसानों को आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता। क्योंकि इन पोषक तत्वों के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं।
लेकिन जब फसल पक्का तैयार हो जाती है तो उत्पादन में इसकी कमी अवश्य दिखाई देती है। ऐसे में किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खाद और पोषक तत्वों को सही मात्रा में ही इस्तेमाल करना आवश्यक है।
तिलहन और दलहन फसलों में उत्पादन के साथ-साथ प्रोटीन में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सल्फर का अधिक मात्रा की जरूरत रहती है। ऐसे में किसान अपने फसल में फॉस्फोरस व नाइट्रोजन की पूर्ति डीएपी से पूरी करें या फिर सुपर फास्फेट या यूरिया से या फिर इसकी जगह एनपी 12:32:16 पौधों को एक ही तरह से मिलता है।
ऐसे में जो किसान सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करते हैं उन्हें अलग से सल्फर देने की आवश्यकता नहीं रहती ऐसे में किसानों को अधिक पैसे खर्च करने की जगह पर संतुलित पोषक तत्व देने वाले खाद के रूप में खर्च कर अधिक लाभ प्राप्त होगा।
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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती पर जाना Rabi Crop Fertilizer Dose: गेहूं की फसल में किसान करें संतुलित मात्रा में खाद का इस्तेमाल, मिलेगा बंपर उत्पादन। अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु अपने आसपास के नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करें।