7 New Fodder Variety: किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की 7 नई चारा की किस्में, मिलेगा बंपर पैदावार, जानें पूरी डिटेल

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चारा फसल के लिए 7 नई किस्म हुआ विकसित, जानें 7 New Fodder Variety के बारे में पूरी जानकारी…

7 New Fodder Variety: हमारे देश में पशुपालन का कार्य बड़े स्तर पर होता है। और दूध की डिमांड लगातार बनी रहती है। लेकिन किसानों को चरण के लिए अच्छी किस्म का होना बहुत जरूरी है। लेकिन किसानों को अब चार के लिए 7 नई किस्म को लॉन्च किया गया है। जो कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के द्वारा विकसित की गई है।

चारा फसलों में की गई इन 7 नई किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में आने वाले भिन्न-भिन्न संस्थाओं के द्वारा तैयार किया गया। जो देश के अलग-अलग राज्यों के अनुसार वैरायटी उत्पादन देने में सफल होगी।

क्योंकि देश के अलग-अलग राज्यों में कृषि जलवायु अलग रहता है। इसको देखते हुए इन 7 नई चारा किस्म को तैयार किया गया है। जो किसान की आवश्यकता को पूरा करेगी और किसान अपने क्षेत्र के अनुसार चयन कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे आज आप इन चारा फसल 7 नई किस्म के बारे में जानकारी जानें 7 New Fodder Variety

चारा की 7 नई किस्म निम्नलिखित नीचे दिया गया है जैसे :- ज्वार CSV 57F, मक्का HQPM 28, पूसा चारा मक्का हाइब्रिड-1 (AFH-7), जवाहर ओट 13-513, हिम पालम चारा ओट-1, जवाहर बरसीम 08-17, जवाहर पर्ल मिलेट 18-7 आदि 7 New Fodder Variety।

1. चारा किस्म जवाहर पर्ल मिलेट 18-7 की विशेषताएं

New Fodder Variety JPM 18-7:- चारा की यह वैरायटी खुला परागण वाली मोती बाजरा का नया किस्म जो कि बारिश के मौसम में बारिश और सिंचाई से होने वाली किस्म है।

यह चार की किस्म को देश के कई राज्यों के लिए उपयुक्त माना गया है जैसे हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व कर्नाटक में बुवाई कर सकते हैं।

इस चार किस्म में उपज की बात करें तो यह प्रति हेक्टेयर हरा चारा 440 क्विंटल से 480 क्विंटल तक मिल सकता है और यह किम 120 से 130 दिन तक फसल होगा। यह चारा फसल में होने वाले कीट व रोग जैसे पाइरिला, लीफ ब्लास्ट, टिड्डी, व लीफ डिफोलिएटर के लिए यह वैरायटी मध्यम प्रतिरोधी मानी गई है। इस किस्म का प्रायोजक मध्य प्रदेश जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर की ओर से किया गया है

2. चारा किस्म जवाहर बरसीम 08-17 में क्या विशेषताएं है

New Fodder Variety JB 08-17:- यह जवाहर बरसीम 08-17 वैरायटी भी एक खुला परागण (ओपेन पॉलीनेटेड) वाली किस्म जो कि सर्दी के मौसम में बुवाई के लिए उपयुक्त माना गया है। जो की कई बार कटाई किया जा सकता है।

यह चारा किस्म को बुवाई देश की विभिन्न भागों जैसे उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और गुजरात के लिए उपयुक्त माना है। यह जवाहर जवाहर बरसीम 08-17 वैरायटी में प्रति हेक्टेयर हरा चारा पैदावार 620 क्विंटल से लेकर 650 क्विंटल तक देने की क्षमता है। यह हरा चारा किस्म बुवाई के बाद 190 दिन से 200 दिन तक होता है।

यह जवाहर जवाहर बरसीम 08-17 किस्म में झुलसा व पत्ती धब्बा रोग के प्रति सहनशील माना गया है। इस किस्म को प्रायोजक मध्य प्रदेश जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर की ओर से किया गया है।

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3. चारा किस्म हिम पालम चारा ओट-1 में क्या खासियत है

New Fodder Variety PLP-24:- यह हिम पालम चारा ओट-1 वैरायटी को सामान्य भूमि और सिंचित वाली भूमि में उपयुक्त माना गया है। और यह एक खुला परागण वाली किस्म जो देश के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर राज्य के लिए उपयुक्त है।

चारा की PLP-24 किस्म में प्रति हेक्टेयर उत्पादन की बात करें तो यह 260 क्विंटल से 300 क्विंटल तक देने वाली किस्म है जो 180 दिन से 185 दिन तक फसल होगा।

PLP-24 चारा की वैरायटी में ख़स्ता फफूंदी के लिए प्रतिरोधी माना गया है। बाते दे कि इस किस्म का प्रायोजक हिमाचल प्रदेश में हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर द्वारा किया गया है।

4. चारा किस्म जवाहर ओट 13-513 की मुख्य खासियत

New Fodder Variety JO- 13-513:- यह जवाहर ओट 13-513 की वैरायटी खुला परागण वाली किस्म जिसको पूर्वी व उत्तर पश्चिमी स्थान जहां पर जई की खेती की जाती है। वहां पर बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस चार फसल को देश के हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, असम और ओडिशा के लिए विकसित किया गया है।

यह JO- 13-513 किस्म में प्रति हेक्टेयर हरा चारा 225 क्विंटल से लेकर 250 क्विंटल तक होता है। इस वैरायटी में प्रतिरोध के बात करें तो यह किस्म पत्ती झुलसा के लिए मध्यम रहेगा। वहीं इस किस्म में फसल 135 दिन से 145 दिन तक होता है। इस किस्म को प्रायोजक मध्य प्रदेश जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर की ओर से किया गया है।

 

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5. चारा किस्म पूसा चारा मक्का हाइब्रिड-1 की मुख्य खासियत

New Fodder Variety AFH-7:- यह पूसा चारा मक्का हाइब्रिड-1 वैरायटी का प्रायोजक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के द्वारा किया गया है। जो की देश चार राज्य के लिए उपयुक्त माना गया है जैसे राजस्थान हरियाणा पंजाब और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के लिए है।

यह AFH-7 किस्म को खरीफ वाले मौसम और सिंचाई वाले क्षेत्र के लिए उपयुक्त माना गया है। इस वैरायटी में प्रति हेक्टेयर उत्पादन हरा चारा के रूप में कृषि संस्थान के द्वारा 413.1 क्विंटल तक माना है। यह पूसा चारा मक्का हाइब्रिड-1 किस्म 95 दिन से 105 दिन का फसल हैं। जोकि पत्ती का झुलसा / मेडीस लीफ ब्लाइट (एमएलबी) रोग के प्रति प्रतिरोधी माना गया है। वहीं तना छेदक (चिलो पार्टेलस) के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होगा।

6. चारा मक्का की किस्म हाइब्रिड HQPM 28 की खेती

New Fodder Variety HQPM 28:- यह मक्का HQPM 28 हाइब्रिड वैरायटी का प्रायोजक कृषि विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन, करनाल हरियाणा के द्वारा किया गया है। जो कि भारत के मध्य क्षेत्र यानी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में उपयुक्त रहेगा।

यह मक्का HQPM 28 की किस्म को खरीफ के सीजन में लगा सकते हैं और इस हरा चारा का प्रति हेक्टेयर में उत्पादन 427.6 क्विंटल तक होता है। किस्म में फसल 98 दिन तक चलेगा। इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता की बात करें तो यह किस्म पत्ती का झुलसा / मेडीस लीफ ब्लाइट (एमएलबी) बीएलएसबी के प्रति प्रतिरोधी माना गया है।

7. चारा किस्म ज्वार CSV 57F के बारे में जानकारी

New Fodder Variety (SPV 2801) (UTFS 111) Details:- यह CSV 57F ज्वार वैरायटी एक खुला परागण वाली किस्म जो देश के 6 स्थानों के लिए विकसित किया गया है जैसे राजस्थान पंजाब उत्तर प्रदेश उत्तराखंड गुजरात और दिल्ली के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को किसान खरीफ सीजन में वर्षा के बाद बुवाई कर सकते हैं।

ये (SPV 2801) (UTFS 111) किस्म प्रति हेक्टेयर भूमि में हरा चारा 435 क्विंटल की पैदावार देने के अलावा सूखा चारा के रूप में 139 क्विंटल तक मिल सकता है। यह चारा फसल 130 दिन से लेकर 135 दिन तक होगा। इस किस्म में पत्तियों में होने वाले रोगों के प्रति सहनशील माना गया है। वहीं इसके अलावा कालिखदार धारी, भूरे पत्तों का धब्बा, ज़ोनेट पत्ती का धब्बा, एन्थ्रेक्नोज, और प्ररोह मक्खी के प्रति सहनशील माना है । वहीं तना छेदक प्रति प्रतिरोधी माना गया है। इस किस्म का प्रायोजक हरियाणा प्रदेश में जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के द्वारा किया गया है।

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Conclusion: आज आपने सुपर खेती पर जाना चारा फसल के लिए 7 New Fodder Variety जिसमें पकाने का समय कहां-कहां पर बुवाई के लिए उपयुक्त होगा और अन्य जानकारी। बुवाई करने से पहले अगर किसान अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नजदीकी कृषि विभाग के द्वारा या फिर ऊपर दिए गए संस्थाओं के द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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