Gehun Variety DBW 316 Details: गेहूं की DBW 316 गेहूं की पैदावार कितनी है, जाने इस किस्म की मुख्य विशेषताएंमौसम में अधिक तापमान में अच्छी पैदावार के अलावा क्या-क्या खासियत है, जानें Gehun Variety DBW 316 Details
Gehun Variety DBW 316 Details | देशभर में विभिन्न राज्यों में खरीफ का सीजन अंतिम दौर में पहुंच चुका है और कटाई का कार्य आरंभ हो चुका है या कुछ समय में शुरू हो जाएगा। लेकिन किसानों के द्वारा गेहूं की फसल की बुवाई को लेकर अभी से तैयारी शुरू हो चुका है। जिसके लिए किसान अच्छी उन्नत किस्म के बारे में भी जानकारी होना बहुत जरूरी है।
वैसे तो किसी भी फसल में किसानों को सबसे महत्वपूर्ण कार्य किस्म का चयन करना ही है। लेकिन गेहूं की विकसित होने वाले नई किस्म की जानकारी नहीं मिल पाती। इसके अभाव में किसान का उत्पादन में असर देखने को मिलता है। ऐसे में किसानों को नई व अच्छी उन्नत किस्म का चयन करना बहुत जरूरी होता है ताकि उत्पादन बेहतर मिले।
बात करें बीते तीन से चार सालों में तो गेहूं की फसल में सबसे ज्यादा मौसम में बढ़ रहे गर्मी के चलते उत्पादन में असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में किसानों को अधिक तापमान सहन करने वाली किस्म का चयन करना बहुत जरूरी हो जाता है।
किसने की इस मुख्य समस्या को देखते हुए गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू 316 को तैयार किया गया है।
बता दें कि संस्थान के द्वारा इस वर्ष ही इस गेहूं की किस्म को और रिलीज किया गया है। और इस किस्म में अधिक तापमान सहने के साथ-साथ मौसम में होने वाले परिवर्तन में बारिश आंधी या लावृष्टि जैसी स्थिति में भी अच्छी उत्पादन देने की क्षमता है।
ऐसे में किसानों को गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू 316 Gehun Variety DBW 316 Details जानना चाहते हैं तो आप इस रिपोर्ट में जान पाएंगे। गेहूं की इस DBW 316 गेहूं की पैदावार कितनी है, इसके पकने का समय व इसमें क्या-क्या विशेषताएं हैं आईए जानते हैं…
जानें Gehun Variety DBW 316 Details
रबी के सीजन में बोई जाने वाली गेहूं की फसल का समय कई बार किस नहीं कर पाते या फिर अन्य फसलों के लेट होने के चलते देर से बुवाई होती है। जिस कारण किसानों को सबसे अधिक गेहूं की फसल में अंतिम दिनों में अधिक तापमान होने के चलते नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि किसानों को गेहूं की पछेती बुवाई करने पर अंतिम समय अधिक तापमान होने से कई किस्म तापमान सहन नहीं कर पाती और दान भरते समय सही से दाना भराव नहीं होता। जिससे उत्पादन पर विपरीत असर देखने को मिलता है।
डीबीडब्ल्यू 316 करनाल संस्थान में हुआ तैयार
बढ़ रहे तापमान को मुख्य रूप से ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जलवायु अनुकूल किस्म का विकास किया जा रहा है जिसमें से एक गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू 316 करनाल में तैयार किया गया।
बता दें कि हरियाणा प्रदेश में भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल में स्थित संस्थान के द्वारा गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू 316 (करण प्रेमा) को विकसित किया गया है।
गेहूं की डीबीडब्ल्यू 316 एक नई वैरायटी जो अधिक पैदावार आने वाली गेहूं किस्म है। जिसको फसल मानक अधिसूचना पर केंद्रीय उप-समिति और कृषि फसलों के लिए किस्मों के विमोचन हाल ही में अधिसूचित किया गया है।
वैरायटी डीबीडब्ल्यू 316 को भारत सरकार की ओर से मार्च 2023 में जारी की गई बजट अधिसूचना संख्या एसओ 1056 (ई) में रखा गया था।
कौन-कौन से क्षेत्र के लिए सिफारिश DBW 316 (करण प्रेमा)
गेहूं की इस किस्म बुवाई के लिए देश के उत्तर पूर्वी उत्तर मैदानी हिस्सों में जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व उत्तर पूर्वी के मैदानी हिस्सों के लिए उपयुक्त माना गया है। वही देश के मध्य भाग में भी इस गेहूं की किस्म की खेती की जा सकती है।
Gehun Variety DBW 316 – करण प्रेमा गेंहू किस्म में क्या क्या विशेषताएं हैं
हमारे देश में एनईपीजेड, जहां पर गेहूं का उत्पादन में दूसरा बड़ा क्षेत्रफल है। यहां पर धान की फसल लगाई जाती है जिसकी कटाई समय पर न होने के चलते गेहूं की बुवाई करने में देरी होती है। जिसके चलते फसल में दाने बने के समय अधिक तापमान रहता है। ऐसे में गेहूं की किस्म को अधिक तापमान सहने वाली की किस्म बुवाई करना चाहिए।
हमारे देश के उत्तर पूर्वी मैदानी हिस्सों में गेहूं की अधिक पैदावार वाली किस्म के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ टर्मिनल हीट स्ट्रेस के प्रति भी सहनशील होनी चाहिए।
विशेष रूप से गेहूं की फसल में देरी से बुवाई होने पर टर्मिनल हीट स्ट्रेस के कारण पैदावार व दानों के वजन में असर देखने को मिलता है। क्योंकि इस समय के दौरान औसत तापमान 31 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है। ऐसे में गेहूं की किस्म DBW 316 का पैदावार अच्छा और गुणवत्ता बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए।
व्हीट वैरायटी डीबीडब्ल्यू 316 (करण प्रेमा) किशन को देरी से बुवाई के साथ-साथ सिंचाई वाले क्षेत्र के लिए विकसित किया गया एक नई किस्म है।
यह वैरायटी औसत पैदावार में गेहूं की एचडी 3118 से 7.0 फीसदी, HI 1563 से 1.8 फीसदी, HI 1621 से 3.2 फ़ीसदी और DBW 107 के बराबर होता है।
गेहूं की डीबीडब्ल्यू 316 को उत्तर पूर्वी मैदानी हिस्सों में लेट बॉय होने पर प्रति हेक्टेयर औसत उपज 41.0 है वही अधिकतम 68.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर भूमि में तक उत्पादन देती है।
डीबीडब्ल्यू 316 का पकने का समय
देश के एनईपीजेड में डीबीडब्ल्यू 316 की बुवाई देर से होने पर पौधों के औसत ऊंचाई 90 सेंटीमीटर व मजबूत होता है। यह गेहूं किस्म 114 दिन का औसत पकने का समय लगता है।
DBW 316 में रोग प्रतिरोधक क्षमता कितना
बता दे कि गेहूं की फसल में होने वाले तीन तरह के रतुआ जैसे पीला, काला या फिर भूरा रतुआ रोग के प्रति किस्म DBW 316 के प्रतिरोधक माना गया है। इसके अलावा लीफ ब्लाइट (पर्ण झुलसा) व पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति भी मूल्यांकन प्रतिरोधी है।
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गेहूं की करनाल में बुकिंग आरंभ
किसानों के लिए गेहूं की किस्म 10 वैरायटी का बीज मिल रहा है। हरियाणा प्रदेश में भारतीय गेहूं एवं जी अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डा. रतन तिवारी के बताया कि गेहूं की डब्ल्यूबीआर 316 रिलीज की है।
गेहूं की यह वैरायटी हरियाणा उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के लिए उपयुक्त है और अधिक उत्पादन मिलेगा। इस गेहूं किस्म का बीज करनाल संस्थान में प्राप्त होगा। इसके अलावा किसान DBW 372, 303, 187, 332, 359 व 377 किस्म का बीज मिल रहा है।
रबी सीजन में बोई जाने वाली गेहूं की इन किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है इसके लिए संस्थान के द्वारा किसानों को 3000 क्विंटल बीज मिलेगा।
जानें DBW 316 बुवाई समय, खाद, बीज की पूरी जानकारी
कौन कौन से क्षेत्रों के लिए बुवाई :– गेहूं की इस किस्म बुवाई के लिए देश के (एनईपीजेड) उत्तर पूर्वी उत्तर मैदानी हिस्सों में जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व उत्तर पूर्वी के मैदानी हिस्सों के लिए उपयुक्त माना गया है। वही देश के मध्य भाग में भी इस गेहूं की किस्म की खेती की जा सकती है।
भूमि की तैयारी कैसे करें :- DBW 316 गेहूं की बुवाई करने से पहले के समतल उपजाऊ मृदा होना चाहिए। वैसे पहले सिंचाई के बाद ट्रैक्टर के द्वारा अच्छे से बुआई डिस्क हैरो से जुताई करना और बाद में लेवलर (सुहागा) से समतल करना चाहिए।
किस्म DBW 316 का बीज उपचार करना :– इस गेहूं किस्म के बीज को कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत 37.5 प्रतिशत + थीरम से 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज का उपचारित करें।
बिजाई करने वाला समय :- गेहूं इस करण प्रेमा (DBW 316 )किस्म को किसान 5 दिसंबर से 25 दिसंबर के समय तक बुवाई कर सकते हैं।
बीज कितना डालें :- डीबीडब्ल्यू 316 किस्म का बीज किसान प्रति हेक्टेयर 125 किलोग्राम डाल सकते हैं। जो की बीज डालने वाली मशीन से सीधा पंक्ति में बुवाई करें
DBW 316 में खाद और उर्वरक :– गेहूं की इश्क सम को देरी से बुवाई होने की स्थिति में किसान एनपीके प्रति हेक्टेयर 120: 60: 40 किलोग्राम डाल सकते हैं। वही नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी की साइंस मात्रा को पहली सिंचाई 45 से 50 दिन के बाद डालें।
DBW 316 खरपतवार से छुटकारा :– गेहूं किस्म करण प्रेमा में चौड़ी पट्टी वाली खरपतवार की रोकथाम करने के लिए किसान प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम 2,4-डी या फिर इसके अलावा पट्टी हेक्टेयर 300 लीटर पानी में 20 ग्राम कारफैंट्राजोन या मेटसल्फॉन 4 ग्राम का छिड़काव कर सकते हैं।
गेहूं में संकरी पत्ती के घास की रोकथाम :- फसल में होने वाले संकरी पत्ती के खरपतवार को रोकने करने के लिए किसान प्रति हेक्टेयर सल्फोसल्फ्यूरॉन 25 ग्राम, या फिर क्लॉडिनाफॉप 60 ग्राम, आइसोप्रोट्यूरॉन 1000 ग्राम या फिर पिनेक्सोडेन 50 ग्राम या फिर फिनोक्साप्रोप 100 ग्राम या फिर इसके अलावा पाइरोक्ससल्फॉन 127.5 ग्राम का छिड़काव करें। खरपतवार की रोकथाम के लिए छिड़काव के समय पर्याप्त नहीं होना आवश्यक है।
गेहूं किस्म DBW 316 में कीट व रोग की रोकथाम :- गेहूं का यह किस एम भरा हुआ पीला के साथ-साथ तना रतुआ के अलावा अन्य कई रोगों के प्रतिरोधी है। इसके बावजूद अगर किसानों को पूंजी रोग जैसे रतुआ या पाउडरी मिल्ड्यू / रतुआ के शुरुआती लक्षण दिखाई दे तो इसकी रोकथाम के लिए टेबुकानाजोल / प्रोपीकोनाजोल / ट्रायडेमेफोन 0.1 प्रतिशत (1 मि.ली. /लीटर) की दर से छिड़काव करें।
डीबीडब्ल्यू 316 किस्म पानी कब दे :- इस वैरायटी में 4 से 6 सिंचाई किया जा सकता है जिसके लिए किसानों को 20 से 25 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए।
डीबीडब्ल्यू 316 (करण प्रेमा) का उत्पादन :- इस किस्म में औसत उपज 41.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर वहीं पछेती बुआई स्थिति में अधिकतम उत्पादन क्षमता 68.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है।
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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती पर जाना Gehun Variety DBW 316 Details गेहूं की DBW 316 गेहूं की पैदावार कितनी है, पकने में समय, खाद, बीज, कीटनाशक दवा आदि के बारे में इस किस्म की मुख्य विशेषताएं। किसान इस गेहूं की किस्म की अधिक जानकारी के लिए अपने आसपास के कृषि विभाग के डॉक्टर के द्वारा या फिर करनाल संस्थान के द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ऊपर दी गई कीटनाशक दवा या खरपतवार नाशक दवा का उपयोग करने से पहले एक बार कृषि विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जसवंत है। मैं सुपर खेती (Super Kheti) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों अपनी कृषि से जुड़ी सभी फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दिया जाता है। मैं किसानों के लिए ताजा न्यूज और योजनाओं के बारे में आर्टिकल लिखना पसंद करता हूं। मैं लगातार 3 साल से वेबसाइट पर काम कर रहा हूं।