Gehu Pink Stem Borer: किसान भाई ध्यान दें, आपकी फसल में भी हो सकता है गुलाबी तना छेदक और दिमाग का प्रकोप, जानें रोकथाम के उपाय

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Gehu Super Kheti: गेहूं की फसल की बुवाई का कार्य किसान तेजी के साथ कर रहे हैं और बहुत से ऐसे किसान जिनकी गेहूं की फसल में करीब एक महीना का समय होने को है। गेहूं के फसल में किसानों को दीमक व गुलाबी तना छेदक का प्रकोप को रोकने के लिए समय-समय पर उपाय करना बेहद आवश्यक है नहीं तो फसल को काफी नुकसान हो सकता है।

 

 

Gehu Pink Stem Borer और Termite की रोकथाम

 

 

Wheat Pink Stem Borer: जैसे-जैसे गेहूं की फसल अब बड़ा हो रहा है किसानों के लिए कई बड़ी चुनौतियां भी सामने आ सकती है इसमें से गुलाबी तना छेदक हुए दीमक हानिकारक कीट जो फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। हरियाणा पंजाब व अन्य राज्यों में जहां पर खरीफ सीजन के दौरान किसानों के द्वारा धान की फसल बोए गया वहां पर किसानों के द्वारा बुवाई की गई गेहूं की फसल में गुलाबी तना छेदक कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है।

 

 

ऐसे में किसानों को अपने गेहूं की फसल में इन दोनों ही हानिकारक कीट की प्रभावी प्रबंधन कर अधिक उपज प्राप्त करने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता को भी बनाए रखा जा सकता है। किसानों के द्वारा आईसीएआर – भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की ओर से दोनों ही कीटों को नियंत्रित करने के अलावा अन्य किट बचाव में किसान क्या क्या उपाय कर सकते हैं और अधिक उत्पादन लेने में सहायता मिलेगी लिए जानते हैं पूरी जानकारी के साथ…

 

फसल में दीमक का नियंत्रण

 

देश के वे क्षेत्र जहां पर दीमक प्रभावित क्षेत्र है वहां पर फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को बीच उपचार करना आवश्यक है। ऐसे में किसानों को बीज उपचार के लिए क्लोरोपाइरीफॉस (Chlorpyrifos) को 0.9 ग्राम प्रति किलो बीज या 4.5 मिली प्रति किलो बीज को अच्छे से उपचारित करना चाहिए । 

 

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या फिर किस इसके अलावा थायमेथोक्साम 70 डब्ल्यूएस 0.7 ग्राम प्रति किलो बीज या फिर इसके अलावा फिप्रोनिल 0.3 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार करना चाहिए।

 

 

फसल में गुलाबी तना छेदक का नियंत्रण

 

 

Gehu Pink Stem Borer: इस रबी सीजन वर्तमान समय के दौरान किसानों को गेहूं फसल में गुलाबी तना छेदक का प्रकोप काफी देखने को मिल रहा है। विशेष कर जहां पर जहां पर पहले धन और अब गेहूं की फसल लगाया गया है। और यहां पर किसानों के द्वारा शून्य जुताई से बुवाई किया गया है।

 

गेहूं एवं जौ अनुभाग एचएयू हिसार के अनुसार किसानों ने अपने गेहूं की फसल वही करने के बाद अभी तक सिंचाई नहीं किया है तो ऐसी स्थिति में किसान 1 लीटर कैलोरीपयरीफॉस50%+ साईपरमेथ्रिन 5% EC 500 मिली प्रति एकड़ या फिर इसके अलावा फिप्रोनिल 0.3% GR 5- 6 Kg प्रति एकड़ नामक दवा को 20 किलोग्राम हल्की गीली मिटी के साथ मिलाकर प्रति एकड़ सिंचाई करने से पहले छिड़काव करना चाहिए।

 

अगर वे किस जो गेहूं की फसल में पहले ही सिंचाई कर चुके हैं तो ऐसी स्थिति में किसानों को कोराजन 50 मिली 100 लीटर पानी के साथ अच्छे से घोल बनाकर स्प्रे द्वारा छिड़काव करें।

 

ऐसे में अगर किसानों को अपनी फसल में गुलाबी तना छेदक किट की पहचान या लक्षण दिखाई दे तो इसके प्रबंधन करने के लिए प्रति हेक्टेयर क्विनालफोस (ईकालक्स) 800 मिली का फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा भी किसानों को इसकी रोकथाम के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग से एक बार अवश्य संपर्क करें।

 

 

गेहूं की फसल पीला रतुआ रोग का नियंत्रण

 

बीते काफी सालों से गेहूं की फसल में पीला रतवा रोग भी कई हिस्सों में देखने को मिलता है। मुख्य रूप से यह उत्तर पश्चिमी मैदानी व उत्तर पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक देखा गया है। गेहूं के फसल में यह रोग लगने पर इसकी पहचान करना उतना कठिन नहीं है क्योंकि इससे पीले रंग का पाउडर देखने को मिलता है जो कि हाथ से छूने से उंगलियों के साथ-साथ कपड़ों पर भी लग जाता है।

 

 

अगर किसानों को अपनी फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई देते हैं तो अपने आसपास के आईसीएआर संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय, राज्य कृषि विभाग व केवीके के विशेषज्ञ से संपर्क कर किसान इस रोग के बारे में पहचान की जानकारी अवश्य लें।

 

 

किसान की फसल जिन क्षेत्रों में इस रोग की प्रकोप हुआ है इसके बाद किसानों को टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% @ 0.06% या फिर

प्रोपिकोनाजोल @ 0.1% का फसल पर छिड़काव करें। मैं किसानों को जरूरत के अनुसार 15 दिन के अंतराल पर एक बार फिर छिड़काव करना चाहिए। ऊपर बताए गए तरीके को अपनाकर किसान अपनी फसल में पीले रतुआ रोग से बचाया जा सकता है।

 

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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती पर जाना Gehu Pink Stem Borer: किसान भाई ध्यान दें, आपकी फसल में भी हो सकता है गुलाबी तना छेदक और दिमाग का प्रकोप, जानें रोकथाम के उपाय। इन रोगों से जुड़ी हुई अन्य किसी भी जानकारी या फिर हमारे दोबारा दी गई दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने आसपास के नजदीकी कृषि विभाग से एक बार संपर्क जरूर करें।

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