गेहूं के किसानों को कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की विशेष सलाह, रखें मुख्य 10 बातों का ध्यान

Super Kheti: देश में किसानों के द्वारा गेहूं की बुवाई का कार्य अगेती, मध्य व पछेती (देरी) समय के दौरान किया जाता है। और अब गेहूं का बुवाई तकरीबन पूरा हो चुका है। इसी बीच कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा Wheat Crop Advice 2025 विशेष सलाह दिया गया। बीते 2 दिन से मौसम में आए बदलाव के चलते कहीं हिस्सों में बारिश हुई है। गेहूं की फसल के लिए अनुकूल मौसम के चलते टिलरिंग में भी काफी अच्छी बढ़ोतरी हुआ है।

कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा Wheat Crop Advice 2025

 

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बता दें कि इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान करनाल के द्वारा किसान जिन्होंने गेहूं की फसल लगाई है उनके लिए विशेष सलाह दिया गया है। संस्थान के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार किसान अपनी फसल में पालन कर कम खर्च के साथ-साथ गेहूं की उत्पादन में अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

 

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किसानों के लिए गेहूं अनुसंधान संस्थान द्वारा दिया गया सुझाव

किसानों को अपने गेहूं की फसल में इस समय सिंचाई से लेकर खाद, पानी, खरपतवार प्रबंधन करने के साथ क्या-क्या सुझाव दिए गए हैं जो की निम्नलिखित नीचे दिया गया।

Wheat Crop Advice 2025: गेहूं के किसानों को कृषि विश्वविद्यालय ने जारी की विशेष सलाह, रखें मुख्य 10 बातों का ध्यान
Wheat Crop Advice 2025

 

 

1). उत्तर भारत के कई राज्यों में बारिश हुआ है जिसको देखते हुए असल में अच्छी वृद्धि हो इसके लिए प्रति एकड़ 40 किलोग्राम यूरिया देने का सलाह दिया है।

2). गेहूं के अभी क्षेत्र जहां पर बारिश नहीं हुआ है ऐसे में किसानों को अपने गेहूं की फसल में सिंचाई करने का सुझाव दिया गया। गेहूं की फसल में सिंचाई करने से तापमान में अधिक कमी होने के चलते नुकसान से बचाया जा सकता है।

3). किसानों को अपनी फसल में कम खर्च के साथ-साथ पानी बचाव के लिए अपने विवेकपूर्ण तरीके का इस्तेमाल कर सिंचाई करना जरूरी है।

4). किसानों को अपने गेहूं की फसल में उचित खरपतवार प्रबंधन का पालन करना जरूरी।

5). किसानों को अपनी फसल में सिंचाई करने से पहले खराब मौसम होने की स्थिति पर भी ध्यान रखें। मौसम विभाग के द्वारा बारिश को लेकर पूर्वानुमान की जानकारी के अनुसार सिंचाई करना चाहिए।

6). किसानों को अपने खेतों में जरूर से ज्यादा पानी खड़ा होना या जलभराव से बचाव करना चाहिए।

7). किसानों को अपने गेहूं की फसल में पीलापन दिखाई देने पर नाइट्रोजन यानी यूरिया का अधिक प्रयोग ना करें। साथ ही जब कोहरा या बादल छाए रहे तब नाइट्रोजन का उपयोग करने से बचना चाहिए।

8). किसानों को अपनी फसल में नियमित रूप से पीला रतुआ संक्रमण के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करने के साथ-साथ रोग के लक्षण पहचान होने पर अपने आसपास के संस्थान या कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केदो से संपर्क करना।

9). जो किसान सरंक्षण कृषि करते हैं उनको सिंचाई करने से ठीक पहले में यूरिया का छिड़काव करें।

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