जानें गेहूं के फसल में कॉपर के कमी के नुकसान, पहचान, और कमी से बचने के उपाय, Wheat Copper Deficiency
गेहूं की फसल की बोरी का कार्य लगभग देश हर क्षेत्र में पूरा हो चुका है। हालांकि अभी भी बहुत से ऐसे किसान हैं , जो की बुवाई खरीफ फसल के लेट होने या फिर सिंचाई के चलते बुवाई करना बाकी है। लेकिन जिन किसानों के द्वारा अगेती फसल की बुवाई किया जा चुका है उनके सामने अब कई तरह की फसल में अन्य तरीके से समस्याएं आ सकता है।
ऐसे में किसानों को अपनी गेहूं की फसल में समय-समय पर देखभाल करने के साथ-साथ पानी खाद व खरपतवार हटाने के अलावा पोषक तत्वों की देखभाल करते रहना चाहिए। ताकि उन्हें फसल में कोई भी तरह की समस्या देखने को ना मिले।
Wheat Copper Deficiency: गेहूं के फसल में किसानों को कॉपर यानी तांबे की कमी भी दिखाई दे सकता है। कुछ किसान ही इसके कमी के लक्षणों की पहचान से पता लगा लेते हैं। लेकिन बहुत से ऐसे किसान जिनको अभी भी गेहूं की फसल में कॉपर यानी तांबे की कमी होने का पता नहीं चल पाता।
कॉपर की कमी के चलते फसल पर क्या-क्या असर हो सकता है
किसानों के द्वारा गेहूं की फसल बुवाई के बाद अब जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है। कई तरह के पोषक तत्वों की कमी भी देखने को मिल सकता है। ऐसे में बता दें किसानों को गेहूं के फसल में कॉपर यानी तांबे की कमी होने से कई तरह की दिक्कत आ सकता है। इसकी कमी के चलते पौधों में प्रोटीन बनने की समस्याएं देखने को मिलती है। जिसके चलते पौधों की प्रतिरक्षा प्रणाली में गिरावट होने लगता है। और पौधों पर कॉपर की कमी (Wheat Copper Deficiency) होने से बालियां म्यान में फंस जाती हैं। और सफेद किनारे वाले निकलते हैं। पौधों की पत्तियों का रंग भी सफेद होने के साथ ही मुड़ जाती है और नई पत्तियां के किनारे भी मुरझा जाते हैं। पौधों की आगे कलिकाएं खत्म हो जाता है जिनको शीर्षरम्भी रोग भी कहते हैं
जैसे ही किसान फसल में पानी से सिंचाई करता है तो पौधे सूखने लगते हैं। कॉपर की कमी मुख्य रूप से कार्बनिक पदार्थ व पीटयुक्त मिट्टी में अधिक मात्रा में होता है।
जिन क्षेत्रों में रेताली मिट्टी है वहां पर भी कॉपर की कमी होने की संभावना अधिक होती है। बता दें की मिट्टी में कार्बोनेट व ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने से भी कॉपर की उपलब्धता कम होती है।
बता दे की किसानों को अपने गेहूं की फसल में होने वाले कॉपर की कमी को बचाव के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कृषि विभाग की ओर से उपाय बताए हैं। जो की एक्स पर दी गई पोस्ट की जानकारी में दिया गया है।
बचाव में क्या करें
Wheat Copper Deficiency: किसानों को प्रति एकड़ में 120 से 125 लीटर पानी के साथ 200 ग्राम कॉपर सल्फेट (नीला थोथा) अच्छे से घोल बनाकर स्प्रे के द्वारा छिड़काव करें। नोट :- किसानों को अपनी फसल में कॉपर सल्फेट 200 ग्राम से अधिक मात्रा में उपयोग में नहीं करना है नहीं तो फसल जलकर खराब हो सकता है। Wheat Copper Deficiency अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु अपने आसपास कृषि विभाग से संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं। किसान गेहूं में कॉपर सल्फेट के उपयोग कृषि विभाग के मुताबिक डाल सकते हैं।
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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जसवंत है। मैं सुपर खेती (Super Kheti) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों अपनी कृषि से जुड़ी सभी फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दिया जाता है। मैं किसानों के लिए ताजा न्यूज और योजनाओं के बारे में आर्टिकल लिखना पसंद करता हूं। मैं लगातार 3 साल से वेबसाइट पर काम कर रहा हूं।