किसान अपनी फसल में सही समय पर निगरानी के बावजूद भी फसल में कई बार किट व रोग हो जाते हैं। जिसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है। ऐसे में धान में होने वाले Rice Brown Hopper Insect की जाने पूरी डिटेल
जानें Rice Brown Hopper Insect की जानकारी
इस बार खरीफ सीजन में देशभर के कई राज्यों में किसानों के द्वारा धान की फसल अधिक क्षेत्रफल में बुवाई हुआ है और अब धान की फसल बलिया निकल चुकी है और बोलियों में दाना भी बने लगा है। देश के कई हिस्सों में धान की फसल की कटाई आरंभ हो चुका है।
वही देश के झारखंड उत्तर प्रदेश व बिहार के कई हिस्सों में धान की फसल में ब्राउन प्लॉन्ट हॉपर BPH का प्रकोप भी देखने को मिला है। जिसको भूरा फुदका किट (Rice Brown Hopper Insect) भी कहा जाता है। धान की खेती में इस किट की रोकथाम करना बहुत जरूरी, जिसके लिए किसान सही समय और तरीके के साथ कीटनाशक दवा का उपयोग कर सकते हैं। नहीं तो फसल की पैदावार में विपरीत असर हो सकता है।
धान की खेती करने वाले किसानों को इस भूरा फुदका किट को लेकर उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के द्वारा सलाह और सर्तक किया गया है।
Rice Brown Hopper Insect: धान के फसल में जब इसकी का प्रकोप बढ़ता है तो यह पौधों का रस चूस कर उसके सभी पोषक तत्वों को खत्म करता है। और दाने भी सिकुड़ जाते है। जिसके कारण से धान की पैदावार और क्वालिटी में भारी गिरावट देखने को मिलती है और यह की इतना खतरनाक हो सकता है कि इसके प्रकोप के बाद किसान को अपने खुद के किए गए खर्च को निकलना भी मुश्किल हो जाती है।
धान की फसल में भूरा फुदका कीट को कैसे पहचान करें
किसानों को धान की फसल में नियमित तौर पर निगरानी करते रहना चाहिए इसकी पहचान के लिए बता दें कि कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के अनुसार वयस्क भूरा फुदका कीट भूरे रंग का होता है, जो की पंख के साथ दिखाई देता है। वहीं इसके शिशु बिना पंख और भूरे रंग के होते हैं। इस किट के वयस्क व शिशु दोनों का प्रकोप होने पर कट पौधों की पत्तियां के साथ-साथ कल्लों का रस चूस कर फसल को काफी नुकसान पहुंचना है। जिसके चलते बाद में धान के पौधे कल होकर सूखने लगते हैं और यह किट जिस पौधे पर लग जाता है उसको पूरी तरह से खत्म कर देता है। इसलिए इसको हॉपर बर्न के नाम से जाना जाता।
भूरा फुदका कीट से बचाव में क्या करें
किसानों को अपनी धान की फसल में होने वाले इस भूरा फुदका कीट के प्रकोप को निगरानी करते रहना चाहिए। इस किट की रोकथाम करने से पहले किसानों को इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक या दवा का उपयोग कब किया है यह भी जानना आवश्यक हो जाता है।
बाते दे कि कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जब धान के पौधों पर भूरा फुदका कीट का प्रकोप हो जाए और इसकी संख्या का लेवल 15 से लेकर 20 किट का हो जाए तभी किसानों को दवा का इस्तेमाल मिलना चाहिए। क्योंकि अगर किट की संख्या इससे कम होगा और दवा का उपयोग करेंगे तो इससे फसल में विपरीत असर पड़ सकता है। जिससे फसल के पैदावार में नुकसान देखा जा सकता है
भूरा फुदका कीट नियंत्रण के लिए कौन सा दवा लें
Rice Brown Hopper Insect: किसानों अपनी धान फसल में इस कीट नियंत्रण में कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के द्वारा सलाह के मुताबिक प्रति हेक्टेयर Carbofuran 3% CG (कार्बोफ्यूरान 3% CG) 25 किलो ग्राम या फिर इसके अलावा Chlorpyrifos 20% EC (क्लोरोपायरीफास 20% EC) 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर में पानी की मात्रा 500 से लेकर 600 लीटर में अच्छे से मिलाएं और फसल में छिड़काव करें सकते हैं।
नोट :- किसान भाई अपनी धान की फसल में इन महत्वपूर्ण बातों का अवश्य ध्यान रखें कि जो ऊपर बताई गई कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने नजदीकी कृषि विभाग के डॉक्टर या विशेषज्ञों से जानकारी लेकर ही उपयोग में लाए हैं।
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