5 Top Variety of Mustard, सरसों एक ऐसी फसल है जो रबी सीजन में बोई जाती हैं, वही तेल की अधिक मांग के कारण बाजार में काफी मांग बनी रहती हैं, बात करें उत्पादन की तो प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में तकरीबन 50 मण यानी 20 क्विंटल देने की क्षमता होती हैं, हालांकि इसके उत्पादन को कई कारक प्रभावित करते हैं जैसे मिट्टी, खाद, पानी एवम बीज। जिसकी जानकारी किसानों को होना बहुत जरूरी है।
आर एच (RH Variety) किस्म सरसों की विशेषता क्या है।
किसानों को सरसों की नई किस्म को लगातार समय समय पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा सरसों की 5 किस्म आर एच 1975, 1424, 1706, 725 ओर 761 की विकसित किया गया है। इन सभी सरसों की विशेषता क्या है । आज आप हमारे साथ www.superkheti.com के माध्यम से आर्टिकल में जान पाएंगे….
RH mustard variety name
क्रमांक संख्या वैरायटी का नाम
1. RH-1975 mustard Variety
2. RH-1424 mustard Variety
3. RH-1706 mustard Variety
4. RH-725 mustard Variety
5. RH-761 mustard Variety
बेस्ट 5 सरसों वैरायटी आर एच 1975, 1424, 1706, 725 ओर 761 सरसों की विशेषता क्या है, आइए जानें
1. सरसों किस्म आर एच 1975
Mustard Variety RH 1975: सरसों की नई वैरायटी र 1975 को हरियाणा प्रदेश के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा तैयार किया गया है। और इस किस्म को किसानों के द्वारा बुवाई करने पर एक शानदार उत्पादन और उच्च गुणवत्ता की पैदावार मिलेगी। वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई इष्टतम को सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है। सरसों की इस वैरायटी आर एच 1975 (RH-1975) को देश के हरियाणा, पंजाब, उत्तरी राजस्थान, जम्मू और दिल्ली के किसानों बुवाई कर सकते हैं।
कितना मिलेगा उत्पादन
कृषि विभाग के मुताबिक सरसों की इस वैरायटी को लेकर उत्पादन की बात करें तो प्रति एकड़ में 11 क्विंटल से लेकर 15 क्विंटल तक उत्पादन देने में सफल होगा। वही तेल की मात्रा की बात करें इस वैरायटी में 39.5% रहेगा। सरसों के इस किस्म का बीज लगने वाले 2024 में रबी मेले में मिल जाएगा।
2. सरसों किस्म आर एच 1424
Mustard Variety RH 1424: सरसों की आर एच 1424 वैरायटी को भी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा सरसों की खेती समय पर बुवाई होने के साथ-साथ बारानी परिस्थितियों को देखते हुए तैयार किया गया। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह वैरायटी को हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू के किसान बिजाई कर सकते हैं।
आर एच 1424 की पैदावार
बता दें कि सरसों की इस वैरायटी RH-1424 को लगाने पर प्रति हेक्टेयर में क्विंटल तक का उत्पादन होता है। और इस किस्म में तेल की मात्रा 40.5% तक पाई जाती है। बिजाई करने के 139 दिन में पककर तैयार हो जाएगा।
3. सरसों किस्म आर एच 1706
Mustard Variety RH 1706: सरसों की वैरायटी र 1706 को हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, पंजाब, जम्मू और दिल्ली के किसानों बुवाई के लिए उपयुक्त माना गया है। सरसों की यह किस्म सिंचाई वाले क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है। और यह किम कई रोगों के प्रति सहनशील है।
पैदावार व पकने में समय
आर एच 1706 सरसों की बिजाई करने पर यह 140 दिन में पककर तैयार होती है। इस वैरायटी में तेल 38% की मात्रा में होता है। यह किम प्रति हेक्टेयर में औसत 27 क्विंटल तक का उत्पादन देती है।
4. सरसों किस्म आर एच 725
Mustard Variety RH 725: सरसों की वैरायटी आर एच 725 किसानों के बीच काफी प्रसिद्ध हो चुकी है। और यह कृषि विभाग के द्वारा वर्ष 2018 में ही तैयार किया गया था और यह वैरायटी को किसान हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में बुवाई करते हैं।
पकने में समय और कितना पैदावार मिलेगा
सरसों की इस प्रजाति की कसम को लगाने पर किसानों को एक एकड़ में अधिकतम उत्पादन 15 क्विंटल तक और औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल का होता है। वही इसमें 134 से 142 दिन में पककर तैयार हो जाता है।
5. सरसों किस्म आर एच 761
Mustard Variety RH 761: सरसों के वैरायटी र 761 को हरियाणा कृषि विद्यालय के द्वारा तैयार किया गया और इस किस्म को उन हिस्सों में वही किया जा सकता है जहां पर पानी की उपलब्धता कम है। इस किस्म में सरसों दानें का आकार मोटा होता है। और यह सर्दी में पड़ने वाले पाला के प्रति सहनशील है।
प्रति हैक्टर में उत्पादन और पकने में समय
इस किस्म को किस बुवाई करते हैं तो प्रति हेक्टेयर 25 से 27 क्विंटल तक का उत्पादन मिलता है। खेत में बिजाई के बाद 135 दिन से 145 दिन कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
6. सरसों वैरायटी आर एच 30
Mustard Variety RH-30: सरसों की यह वैरायटी आर एच 30 को किसानों सिंचाई होती है और नहीं भी होती तो भी बिजाई कर सकते हैं। यह वैरायटी हरियाणा, राजस्थान, पंजाब के लिए सबसे उपयुक्त है। अगर किसान सही समय पर बुवाई करें तो शानदार उत्पादन प्राप्त होगा।
यह सरसों किस्म को बुवाई करने के बाद तकरीबन 130 से 135 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाएगा और इसकी पैदावार की बात करें तो प्रति एकड़ में करीब 8 से 10 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है।
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यदि अच्छे किस्म के बीज यानी सरकार या यूनिवर्सिटी द्वारा प्रमाणित बीज का इस्तेमाल किया जाए तो इसके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, कई बार देखा गया है कि किसान अपने घर में की गई स्टॉक पुरानी सरसों के बीज के रूप में इस्तेमाल करने लगते है। लेकिन सरसों का बीज 2 से 3 साल बाद बीतने पर अपनी गुणवत्ता को खोने लगती हैं। जिसके कारण उत्पादन गिरना शुरू हो जाता है। जो किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने लगता है एवम बचत एवम पैदावार गिरा देता। ऐसे में किसानों को नई उन्नत किस्म का चयन करना जरूरी है।
इसके अलावा भूमि भी सरसों की पैदावार के लिए प्रमुख घटक है, यानी यदि बलुई दोमट मिट्टी में सरसों की खेती की जाय तो अन्य भूमि की बजाय अधिक उत्पादन देगी, वही इसके बजाय यदि बलुई मिट्टी में इसकी बुवाई करे तब यह बलुई दोमट मिट्टी की तुलना में उत्पादन कम देगी। यानी मिट्ठी को ध्यान में रखते हुए ही हमे सरसों की उन्नत किस्मों को चुनना चाहिए ताकि अधिकतम पैदावार ली जा सके।
सरसों की फसल में पानी का महत्व
सरसों ही नही सभी प्रकार की फसलों को पानी सबसे अधिक प्रभावित करता है, वही तिलहन फसल होने के चलते इसके लिए मीठा पानी काफी जरूरी हो जाता है, यह सरसों के तेल की मात्रा को प्रभावित करने वाला प्रमुख घटक माना गया है, यदि अच्छा पानी सरसों में सिंचाई की जाए तब उच्च गुणवत्ता वाला तेल सरसों से लिया जा सकता है, यही नहीं यदि सरसों में तेल की मात्रा अधिक होगी। तब मार्केट में इसकी कीमत भी किसानों को अच्छी मिलेगी। वही खारे या लवणीय प्रकार का पानी यदि खेती में दिया जाय तब उत्पादन तो कम होगा ही साथ ही मिट्टी की उर्वरकता भी प्रभावित होकर कमजोर क्वालिटी की हो जायेगी, एवम कुछ समय बाद धीरे धीरे बंजर जमीन बन जायेगी।
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Conclusion:- आज www.superkheti.com के द्वारा आपको बेस्ट 5 सरसों वैरायटी आर एच 1975, 1424, 1706, 725 ओर 761 सरसों की विशेषता क्या है। के बारे मे जानकारी प्राप्त किया गया। आप अपने आसपास के क्षेत्र में कृषि विभाग से संपर्क कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।