धान फ़सल को गर्दन तोड़ रोग बचाव में क्या क्या करना चाहिए, जानें Paddy Neck Break Disease अपडेट
Paddy Neck Break Disease: किसानों के खेत में अब धान की फसल में बलिया बनना शुरू हो चुका है या फिर दाना बना आरंभ हो गया है इस समय मौसम में हो रहे बदलाव से धान की फसल में कई तरह के रोग या कट लगने की संभावना रहती है उसी में से एक रोग है गर्दन तोड़ रोग Paddy Neck Break Disease जो कि धान की फसल में बेहद खतरनाक माना जाता है।
धान की फसल में इस रोग का प्रकोप होने पर पौधों में सूखने की समस्या देखने को मिलती है जिससे किसान की चिंतित करने वाली खबर हो सकती है बता दें कि पौधों का सूखना फसल के पैदावार में विपरीत असर होगा।
इस समय मौसम में बदलाव बना हुआ है और इस मौसम में यह रोग अचानक से फसल में अपना प्रकोप दिखाई दे सकता है। बता दें पौधों में बालियां निकलते समय इस बीमारी आने के चलते पौधों की गांठ कमजोर होने लगती है।
ऐसे में किसानों को अपने धान की फसल में इस रोग की रोकथाम के लिए कौन-कौन से दवा का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए रोग के क्या लक्षण रहेंगे और यह कैसा दिखाई देता है। जानते हैं Paddy Neck Break Disease पूरी जानकारी के साथ
फसल में गर्दन तोड़ रोग के क्या क्या लक्षण
किसानों को धान की फसल में वैसे तो किस तरह की चुनौतियां रहती है लेकिन उसमें से कई तरह के कीट व रोग लगने का खतरा रहता है। जिससे उत्पादन काफी गिर सकता है लेकिन किसानों को धान की फसल में गर्दन तोड़ रोग यानी नेक ब्लास्ट रोग से काफी नुकसान हो सकता है और इसकी पहचान करना बहुत जरूरी है ताकि समय पर रोकथाम किया जा सके।
बात करें धान की फसल में गर्दन तोड़ रोग की तो इसकी पहचान के लिए किसानों को धान की फसल के पतियों पर आंख के आकार जैसा नीले यानी बैंगनी रंग के कई धब्बे देखने को मिलते हैं। जो कि बाद में बन के बीच में एक भाग चौड़ा और दोनों किनारो से लंबा होता जाता है। और फिर पत्तियों सूखने लगती है और तने में गांठ का रंग भी काला हो जाता है और फसल का पैदावार कमजोर हो जाती है।
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धान की फसल में गर्दन तोड़ रोग का प्रकोप कब होता है
धान के खेत में गार्डन रोड रोग का प्रकोप होने पर तानों की गांठ चारों ओर से काला हो जाता है और पौधे की गांठ टूट कर नीचे की ओर झुक जाती है और गांठ का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से सूख जाता है। इस रोग में तीसरा और सबसे अधिक नुकसानदायक अवस्था में पहुंचने पर ग्रीवा गलन’ जिसके चलते बलियो के डंडों का काला होना और गल जाना है। जिससे बोलियों में दाने या तो हलके भराव के साथ या फिर खाली रह जाते हैं। फसल में ग्रीवा गलन का अधिक प्रकोप हो जाने पर बोलियां सफेद भी पड़ने लगती है। फसल में इसरो का प्रभाव जग अधिक होता है जब तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस हो और एक सप्ताह में नमी की मात्रा भी ज्यादा हो।
धान में गर्दन तोड़ रोग की रोकथाम कैसे करें
किसानों को अपनी धान की फसल में पत्तियों पर इस बीमारी के एक भी दबा दिखाई देता है तो इसके लिए रोकथाम करना आवश्यक हो जाता है जिसके लिए किसान बीम 120 ग्राम या कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यूपी 400 ग्राम को प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
इसके अलावा जब फसल में बलिया बनने के 50% फूल निकलने का समय हो तब एक छिड़काव और करना होगा जो की दोपहर के बाद ही शाम को करें।
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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती पर जाना Paddy Neck Break Disease इस मौसम में धान की फसल में लग सकता है गर्दन तोड़ रोग, बचाव में करें ये उपाय। किसान किसी भी इतना सब दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने नजदीकी कृषि विभाग या विशेषज्ञों से जानकारी अवश्य ले कर ही करना चाहिए।