NPK & DAP in Sowing: रबी सीजन में सरसों, चना गेहूं व अन्य फसलों की बुवाई का कार्य किसानों के द्वारा आरंभ हो जाने के साथ ही किसानों के द्वारा खाद की मांग में वृद्धि देखने को मिली है। बता दें कि किसानों के द्वारा डीपी खाद न मिलने से काफी चिंतित दिखाई दिए हैं। वहीं किसानों को DAP की जगह NPK खाद को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। कि आखिर डीएपी की जगह एनपीके का प्रयोग करना चाहिए या नहीं। वहीं एनपीके और डीएपी में से कौन सा बेहतर है।
फसल बुवाई में एनपीके और डीएपी में से कौन सा बेहतर है
जिसके लिए कृषि अधिकारियों के द्वारा किसानों को डीएपी की जगह विकल्प के तौर पर एनपीके का सुझाव दिया है. और इस आर्टिकल के द्वारा हम आपको डीएपी और एनपीके में क्या-क्या अंतर है। और एनपीके और डीएपी में से कौन सा बेहतर है, कौन सा खाद प्रयोग करने के साथ कितना लाभ प्राप्त हो सकता है पूरी जानकारी प्राप्त होगा..
डीएपी खाद के फायदे क्या क्या हैं।
DAP Fertilizer: किसानों के द्वारा बुवाई में सबसे लोकप्रिय खाद में से एक डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद का उपयोग में लाते हैं। जिसके चलते किसानों को अधिक उत्पादन के साथ-साथ पौधों में जड़ों को मजबूत होना और शुरुआती तौर पर वृद्धि अधिक होती है। डीपी खाद में नाइट्रोजन व अधिक मात्रा में फास्फोरस मिलता है। जिसका कीमत भारतीय बाजारों में 1350 रुपए 50 किलो के बैग का होता है।
एनपीके के फायदे क्या क्या है।
NPK Fertilizer: डीएपी के मुकाबले एनपीके का उपयोग किस काम करते हैं लेकिन अनुभवी किसान इसका उपयोग करना अच्छा मानते हैं। क्योंकि एनपीके में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश पाया जाता है जो की फसल के लिए अधिक उत्तम है। एनपीके खाद में फॉस्फोरस, नाइट्रोजन और पोटाश महत्वपूर्ण तीन तत्व होने से फसल में पूरी वृद्धि के साथ-साथ पत्तियों का विकास, जड़ों व फूलों के विकास से लेकर फसल की गुणवत्ता व प्रयोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
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कृषि अधिकारियों के मुताबिक किसानों को एनपीके खाद डालने से ज्यादा लाभ प्राप्त होगा। क्योंकि यह आसानी से मिट्टी में घुलकर पौधों को पोषण भी प्रदान करता है। जिससे मृदा उर्वरता में भी बढ़ोतरी बनी रहती है। इसकी कीमत डीएपी के मुकाबले में बाजार में थोड़ा अधिक है और यह 1470 रुपए प्रति 50 किलो बैग में आता है।
कृषि अधिकारियों की माने तो किसानों के लिए एमपी के अधिक लाभदायक होगा। क्योंकि इसमें जरूरी पोषक तत्वों मिलने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक माना गया है।
फसल में नाइट्रोजन से पत्तियों के हर रंग व घाना बनने के साथ ही फॉस्फोरस से जड़ों को मजबूती मिलती है। वहीं पोटाश से पौधों को बीमारियों से भी बचाव होता है। ऐसे में किसानों को एक संतुलित पोषण के चलते फसल स्वस्थ होने के साथ-साथ मजबूत भी होती है। उत्पादन भी अधिक मिलता है। ऐसे में किसानों को डीएपी के मुकाबले में एनपीके खाद अच्छा लाभ में मिल सकता है।
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