Sarso Ki Kheti Me Hydrogel: हमारे देश में सरसों का खेती कई राज्यों में किया जाता है जिसमें सबसे अधिक सरसों की खेती राजस्थान प्रदेश में होता है। राजस्थान प्रदेश में सरसों की खेती किसान अधिकतर उन क्षेत्रों में करते हैं। जहां पर पानी या सिंचाई की सुविधा कम है। क्योंकि सरसों की फसल में कम पानी व सिंचाई में भी अधिक पैदावार मिल जाता है।
किसान जानें Mustard Farming Hydrogel का उपयोग
Mustard Farming Hydrogel: किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर है बता दें कि आज के इस बदलते हुए दौर में किसानों को नई-नई तकनीक से खेती करने का मौका मिल रहा है। जिससे उन्हें अच्छा उत्पादन प्राप्त करने में सहायता मिलती है। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप भी सरसों की खेती करते हैं और अधिक उत्पादन के बारे में सोच रहे हैं तो आप अपने खेत में हाइड्रोजेल उपयोग किया जा सकता है जिसके चलते आपको सिंचाई के लिए एक बेहतरीन नई तकनीक जिसके चलते सरसों की फसल में शानदार लाभ मिलता है।
सरसों की बुवाई से लेकर लास्ट के अंत तक हाइड्रोजेल लाभ देता रहता है। और यह सरसों की फसल में बढ़वार होने के अलावा दोनों के आकार बनने में मदद करता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह हाइड्रोजेल है क्या जिससे सरसों की फसल में इतना लाभ प्राप्त हो सकता है। तो आपके लिए बता दें कि हाइड्रोजेल दानेदार कैप्सूल जिसका उपयोग खेत में डालकर उपयोग में लाया जाता है। और इसका इस्तेमाल किसान जैसे खाद का उपयोग करते हैं इसी तरह इसको भी डालना होता है।
किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि इसको मिट्टी में डालने के बाद यह बिना किसी मिट्टी घुले पानी को अधिक मात्रा में सोखता है और यह आपने कुल वजन से 350 गुना अधिक पानी आपने अन्दर जमा कर लेगा। जब भी आने वाले दिनों में जमीन को पानी की आवश्यकता होगी तो फ़िर पानी को धीरे धीरे छोड़ने लग जाता है। यानी ये हाइड्रोजेल अपने अंदर जमा हुआ अपनी फसल को जरूरत पड़ने पर धीरे-धीरे देता रहता है जिससे किसानों को फसल में सिंचाई देने की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि यह पानी की पूर्ति करता रहता है।
हाइड्रोजेल के क्या क्या लाभ होता हैं
हमारे देश में सरसों की खेती कई राज्य लेकिन ज्यादातर किसानों के द्वारा उन क्षेत्रफल में किया जाता है जहां पर सिंचाई की सुविधा काम है या फिर बारिश आधार पर भूमि में बुवाई किया जाता है ऐसे में किसने को समय पर बारिश या फिर पानी मिलता रहे तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिलता रहता है लेकिन जब अचानक से मौसम में तापमान में वृद्धि होने के अलावा समय पर पानी ना मिले तो उन्हें काफी चिंताएं होती है और उत्पादन काफी गिर जाता है।
सरसों की पैदावार को लेकर आईसीएआर के द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार सरसों के उत्पादन में पानी की कमी के चलते 17% लेकर 94% तक गिरावट देखा जा सकता है। वह सरसों की फसल में पानी कम चलते उत्पादन में गिरावट ना हो इसी को ध्यान में रखते हुए हाइड्रोजेल तकनीक का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा सरसों की फसल के लिए माना जाता है।
इसे भी पढ़ें 👉 किसान गेहूं की बुवाई में डाल रहे हैं डीएपी की जगह SSP, DSP या TSP, जाने डीएपी खाद से कितना अलग
जब किसान हाइड्रोजन का इस्तेमाल करेंगे तो जमीन में पड़ी अतिरिक्त नमी को यह अपने और खींचेगा और इसे अपने अंदर जमा कर देगा। लेकिन जब यह कैप्सूल फसल को आवश्यकता रहती है नमी की तो यह फिर पौधों को नमी देता रहता है। ऐसे में अगर मान लीजिए इसमें जमा पानी पूरी तरह से खत्म हो गया तो फिर आगामी दिनों में उसे जब भी पानी उपलब्ध होगा तो उसे फिर से अपने अंदर जमा करेगा और पौधों को जरूरत पर सिंचाई के रूप में पानी देता रहेगा।
यह तकनीक जो किसान सरसों की खेती करते हैं उनके लिए काफी लाभदायक हो सकता है क्योंकि इससे फसल को अपनी आवश्यकता के अनुसार पानी है वह प्राप्त होता रहता है। और किसानों को सिंचाई से राहत मिलती है।
हाइड्रोजेल उपयोग करने का तरीका
अगर किसान अपनी भूमि में हाइड्रोजन का उपयोग करने के बारे में सोच रहे हैं तो उनके लिए बता दें कि यह बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है और इसको बिरयानी क्षेत्र या जहां पर सिंचाई की सुविधा काम रहता है वहां पर इसका उपयोग सबसे अच्छा माना गया है। अब बात करें इसके उपयोग करने की तो इसको किस सरसों की बुवाई करते समय मिट्टी में डालना होता है और इसको डालने के बाद किसानों को कोई भी तरह की देखभाल करने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
इसके डालने की मात्रा की बात करें तो किसान जब खेत में पानी की कमी हो तो प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम हाइड्रोजन डालना चाहिए। वहीं सामान्य स्थिति में प्रति हेक्टेयर में ढाई किलो हाइड्रोजन को डाला जा सकता है।
हाइड्रोजन डालने के बाद किस की मन में यह प्रश्न उठा होगा कि इसका लाभ कितना हो सकता है। तो उसके लिए बता दें कि अगर मान लीजिए प्रति हेक्टेयर में अपने 5 किलो हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया है। तो आपको सरसों की फसल में उत्पादन में तकरीबन 35% का लाभ मिल सकता है। किसानों को लगभग प्रति हेक्टेयर में तकरीबन 18000 रुपए का मुनाफा मिल सकता है। इसके अलावा किसान सरसों की फसल में प्रति हेक्टेयर हाइड्रोजन ढाई किलो का उपयोग करते हैं। तो उन्हें लगभग पैदावार में 23% का उत्पादन अधिक मिलेगा वही 15000 रुपए तक का मुनाफा प्राप्त हो सकता हैं।
WhatsApp ग्रुप में जुड़े के लिए 👉 यहां पर दबाएं
इसे भी पढ़ें 👉 प्रदेश सरकार दे रही लहसुन की खेती करने पर भारी सब्सिडी, जल्द करें आवेदन
इसे भी पढ़ें 👉 गेहूं की फसल में किसान करें संतुलित मात्रा में खाद का इस्तेमाल, मिलेगा बंपर उत्पादन, जानें पूरी डिटेल
इसे भी पढ़ें 👉 सरसों की फसल में पहली सिंचाई करने से पहले जान ले यह रिपोर्ट, नहीं तो होगा किसानों को भारी नुकसान, कृषि विभाग की विशेष सलाह