Sarso Ki Kheti: देशभर के राज्यों में सरसों की बुवाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। वही चना की भी बुवाई का कार्य संपन्न होने के बाद बहुत से ऐसे किसान जो समय पर सिंचाई का पानी उपलब्ध न होने के चलते अब क्षेत्र में पछेती बुवाई करने को मजबूर हैं।
Mustard Crop Collar Rot अपडेट
वही राजस्थान प्रदेश के कई जिलों में किसानों के द्वारा अबकी बार सितंबर महीने में सरसों का बुवाई का कार्य शुरू हो चुका था वही चना की बुवाई भी 20 दिन पहले ही किसानों के द्वारा किया गया जिसके चलते अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक तापमान 40 डिग्री के आसपास बना रहा और इस अधिक तापमान के चलते सरसों व चना फसल में फंगस रोग आया है।
Mustard Crop Collar Rot: रबी सीजन में किसानों की ओर से सरसों की फसल लगाने के बाद से किसानों को अब फसल में विशेष देखभाल की आवश्यकता रहती है। जिसके लिए भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान सेवर, भरतपुर (ICAR–DRMR) की ओर से किसानों को विजय सलाह जारी किया गया है। संस्थान के अनुसार प्रदेश में बीते दिनों से लगातार उच्च तापमान के चलते सरसों की फसल में मुरझाने की समस्या देखने को मिल रही है। वही अधिक तापमान व किसानों के द्वारा पहली सिंचाई के दौरान सरसों की फसल में कॉलर रॉट नामक बीमारी का खतरा भी बढ़ रहा है।
ऐसे में किसानों की सरसों की फसल झुलसने के आसार भी नजर आ रहे हैं। किसानों के द्वारा पहली सिंचाई करने पर किसानों को अपनी फसल में नुकसान भी देखने को मिल सकता है।
सरसों की फसल में किसानों को यह समस्या के बारे में भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ.पी.के.राय की ओर से किसानों को विशेष सलाह दिया गया है कि सरसों में जब किसान सरसों में पहली सिंचाई करें उसे समय भूमि में नमी को देखकर ही सिंचाई करना चाहिए।
सरसों फसल में पहली सिंचाई का सही समय
सरसों की फसल में पहली सिंचाई को लेकर संस्थान की ओर से सलाह जारी किया गया है जिसमें किसानों को यह विशेष सलाह दी गई है कि किसान अपनी जमीन में नमी को जांच कर की सिंचाई करना चाहिए और अपनी सरसों फसल जिस भूमि में लगाया है उसमें 4 से लेकर 5 सेंटीमीटर गहराई जांच करने के बाद सिंचाई करना चाहिए।
किसान ज्यादा सिंचाई से बचाव करें क्योंकि सरसों फसल में कॉलर रॉट बीमारी बढ़ाने की संभावना रहती है।
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वहीं जिन किसानों के द्वारा अपनी सरसों की फसल में पहले ही सिंचाई कर दिया गया है और अब फसल में झुलसने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उन्हें तुरंत समाधान करना होगा। जिसके लिए किसान कार्बेंडाजिम का 2% व स्ट्रेप्टोमाइसिन 200 ppm (200 मिली ग्राम प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर फसल में छिड़काव करें।
बता दें कि भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान सेवर, भरतपुर की ओर से सभी सरसों के किसानों को उचित देखभाल के साथ-साथ सही समय पर उचित सावधानी बरतें कि अपील किया गया है। इसके अलावा किसानों को अधिक जानकारी या फिर सहायता के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या फिर इसके अलावा स्थानीय कृषि आधिकारी से संपर्क कर जानकारी लेने सलाह दिया गया है।
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