Gwar Ki Kheti: इस बार मानसून की अच्छी बारिश के चलते राजस्थान हरियाणा स्थिति में है। वहीं अब मौजूदा समय में फसल के अंदर फंगस रोग व अन्य रोगों का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। जिसको लेकर राजस्थान कृषि विभाग की द्वारा किसानों को अपने ग्वार की फसल में होने वाले कीट व रोग की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवा और फफूंद नाशक का छिड़काव करने की विशेष सलाह दिया गया है। ताकि उत्पादन को बढ़ाया जाए।
ग्वार की फसल में फंगस (Fungus in guar crop)
किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि ग्वार की फसल में फंगस (Fungus in Guar Crop) और जड़ गलन की रोकथाम के लिए क्या-क्या उपाय अपनाना चाहिए। आप इस रिपोर्ट के द्वारा जान पाएंगे…
इस बार राजस्थान प्रदेश व हरियाणा प्रदेश के जिन हिस्सों में ग्वार की खेती होती है। वहां पर अच्छी बारिश देखने को मिली है। जिसके चलते ग्वार की फसल में जड़ गलन व फिजियोलॉजिकल विल्ट रोग का प्रभाव काफी हद तक हो सकता है। ऐसे में पानी खड़ा होने की स्थिति बनने पर किसानों को खेतों को पानी निकालने की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए।
खेत में से पानी निकालने के बाद जमीन में सूखापन आएगा और सूखापन होने के बाद फसल में हल द्वारा या ट्रैक्टर के माध्यम से सीलर निकालकर जमीन को सुखाना बहुत जरूरी हो जाता है। जिसके चलते फसल के जड़ों में हवा का संचार सही से होगा और समस्या से राहत मिलेगी।
फसल में जड़ गलन की रोकथाम
किसानों को ग्वार की फसल में आने वाले जड़ गलन की रोकथाम के लिए हम आपको दो से तीन तरीके बता रहे हैं जो की निम्नलिखित हैं।
बीज उपचार करना: गवार की फसल में जड़ गलन आने से रोकने के लिए बीच को उपचार करना बहुत जरूरी है ग्वार का बीज उपचार में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50% को 2 किलोग्राम में मात्रा में करें।
भूमि उपचार: किसानों को ग्वार की फसल बोने से पहले फंगस की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर में 1 क्विंटल गोबर की खाद का उपयोग के साथ 2 किलोग्राम ट्राईकोड्ररमा का उपयोग कर सकते हैं।
छिड़काव के द्वारा: ग्वार की फसल में लगने वाले फफूंदी जनित जड़ गलन के रोकथाम कार्बनडाजिम 50% का या फिर जैविक ट्राइकोडर्मा हारजेनियम 1% का छिड़काव किया जा सकता है।
Fungus in Guar Crop: मौजूदा समय में खरीफ की फसल जैसे कपास, गवार मूंग, मोठ व अन्य फसल में भी फसल फंगस रोग का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल सकता है । क्योंकि इस मौजूदा समय में अधिक नमी, अधिक सापेक्षिक आर्द्रता और ज्यादा तापमान भी कई तरह के तरह के रोग देखने को मिलते हैं।
मुंग में जीवाणु झुलसा रोग का होना
मूंग की फसल में जीवाणु झुलसा रोग देखने को मिल सकता है। इसके पारंपरिक लक्षण के बारे में बात करें तो यह पौधों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे देखने को मिलते हैं। जो की धीरे-धीरे फलियां और तना पर भी दिखाई दे सकता है। बात करें इस रोग को नियंत्रित करने के लिए प्रति बीघा भूमि में 100 लीटर पानी की मात्रा के साथ ऑक्सिक्लोराइड 300 ग्राम व स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 5 ग्राम का छिड़काव कर सकते हैं।
र्स्कोस्पोरा रोग की रोकथाम कैसे करें
फसल में र्स्कोस्पोरा रोग की पहचान करना किसानों के लिए उतना कठिन नहीं है। इसकी पहचान किसान फसल में पतियों के ऊपर कोण में भूरे लाल रंग के धब्बे देखने को मिले जो शाखा और फलियों में बाद में दिखाई देने लगेगा। तो इस रोग की रोकथाम करना जरूरी है। इसको नियंत्रण करने के लिए किसानों को प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम कार्बनडाजिम 50 फीसदी के साथ छिड़काव कर सकते हैं।
इसे भी देखें 👉
Conclusion:- किसानों की जानकारी के लिए मौजूदा समय में ग्वार की फसल में फंगस (Fungus in Guar Crop) की कौन सी स्प्रे करें, जानें जड़ गलन रोग के उपाय के बारे मे जानकारी दी गई। इन रोग से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी या दवा का छिड़काव करने से पहले अपने आसपास के नजदीकी कृषि विभाग के डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।