Fertilizer Subsidy Scheme 2025: केंद्र सरकार किसानों को देगी बड़ी सौगात, सीधा बैंक खातों में पहुंचेगा खाद पर मिलने वाले सब्सिडी का पैसा

देश में 1 फरवरी 2025 को बजट पेश होने वाला है और इस बजट से किसान युवा महिला और कारोबार से जुड़ी हुई लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। लेकिन बजट से पहले किसानों को एक शानदार सौगात देने वाली खबर है बता दें कि केंद्र में मोदी सरकार के द्वारा किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू किया गया। जिसमें पीएम किसान सम्मान निधि योजना, पीएम फसल बीमा योजना, पीएम कुसुम योजना वह अन्य प्रकार की योजनाएं हैं।

Fertilizer Subsidy Scheme 2025

केंद्र सरकार के द्वारा देश के किसानों को यूरिया, डीएपी व अन्य खाद पर हर वर्ष सब्सिडी दिया जाता है। जिसमें बड़ी-बड़ी उर्वरक कंपनियों को फर्टिलाइजर पर सब्सिडी दे रही है लेकिन अब सरकार के ओर से दी जाने वाली यह सब्सिडी कंपनियों के बजाय किसानों के बैंक खातों में सीधा देने की तैयारी हो रहा है।

देश के केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा 27 जनवरी 2025 सोमवार को अपने आवास पर किसानों के साथ संवाद किया और इस दौरान उन्होंने बातचीत के दौरान यह जानकारी दिया गया उनकी ओर से कहा गया कि किसानों के बैंक खातों में उर्वरक सब्सिडी देने पर विचार किया जा रहा है। बता दे कि केंद्र सरकार के द्वारा तकरीबन 2 लाख करोड रुपए का सब्सिडी किसानों के बैंक खातों की बजाय रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियों को दिया जाता है।

केंद्र सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के चलते किसानों को यूरिया का बैग 265 रुपए प्राप्त होता है अगर केंद्र सरकार के द्वारा सब्सिडी नहीं दिया जाए तो यह किसानों को 2400 रुपए में मिलेगा है।

उनके मुताबिक अभी यूरिया और डीएपी का उपयोग अन्य जगह हो जाता है ऐसे में कोशिश किया जाए कि विश्वस्त तंत्र बन जाए जिससे किसानों को खाते में ही सब्सिडी प्राप्त।

केंद्र सरकार के द्वारा किसानों को पीएम किसान योजना में डायरेक्ट 10 करोड़ किसानों को ₹6000 हर वर्ष डायरेक्ट उनकी बैंक खाता में भेजा जाता है। वही फर्टिलाइजर पर मिलने वाली सब्सिडी में अभी भी कार्य करने शेष है उनके मुताबिक किसान के aपास कितना खेती है उसके आधार पर सब्सिडी मिलना चाहिए

किसानों के बैंक बैलेंस में वृद्धि

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से कहा गया कि देश में पीएम किसान योजना के माध्यम से हर वर्ष सरकार के द्वारा 60000 करोड रुपए खर्च हो रहा है वही फर्टिलाइजर सब्सिडी पर भी 2 लाख करोड रुपए और डायरेक्ट किसानों को मिले तो उनके बैंक बैलेंस और बढ़ोतरी हो जाएगा।

और इतना ही नहीं इसके अलावा भी ग्रीनहाउस, पॉलीहाउस, ड्रिप, मशीन पर भी मिलने वाली सब्सिडी में भी खेल हो रहा है। जिसमें कई तरह के ऐसे नियम जिसमें कुछ चुनिंदा कंपनी के द्वारा ही खरीद किया जा सकता है। जहां से करप्शन आरंभ होता है ऐसे में कोई ऐसी ही व्यवस्था या तरीका हो जिससे किसान को सीधा सब्सिडी मिल रहा है। तो उनके खाते में ही जाए ऐसी प्रक्रिया जिसमें पैसा उसी चीज के लिए खर्च होना चाहिए जिसे किसान किसी भी चीज को कंपनी से खरीद सके।

नीतिगत बदलाव से होगा बदलाव

उनके मुताबिक किसान की चीज सस्ता रहता है लेकिन दिल्ली में आते-आते यह महंगा हो जाता है। किसान अपने घर में बिकने वाली कृषि उपज की कीमत और उपभोक्ता द्वारा भुगतान किए जाने वाली रकम में काफी अंतर है जिसे हम कम करने की कोशिश कर रहे हैं। किसान के द्वारा अपनी फसल को दिल्ली में पहुंचे और उनको जो भाड़ा लगता है उसमें आधा केंद्र व आधा राज्य सरकार की ओर से दिया जाए इस पर विचार किया जा रहा है।

उनके मुताबिक किसान के द्वारा अकेले मेहनत नहीं किया जाता। बल्कि उनके पूरे परिवार के ओर से मेहनत किया जाता है। जिसमें कई बार मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है और फसल खराब हो जाता है तो वहीं कई बार फसल का सही से कीमत नहीं मिल पाता। जिसके लिए नीतिगत बदलाव करके किसान की आर्थिक स्थिति को अच्छा करने की कोशिश किया जा रहा है।

इसी को ध्यान में रखते हुए एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश जिसमें किस को अपना कृषि उत्पाद सीधा किसानों को बेचा जाए। अगर कोई मध्य प्रदेश का किसान दिल्ली में सीधे कंज्यूमर को बेचने को जाए और उसको लाभ मिलेगा लेकिन उसको किराया और भाड़ा में सहायता मिल जाए।

 

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