Farmers Sowing Mustard: सरसों की कीमत MSP से अधिक, फिर भी किसानों का सरसों बुवाई की ओर रुझान हुआ कम, जानें क्या हैं मुख्य कारण

Sarso Ki Kheti: हमारे देश में खासकर उत्तर भारत के हरियाणा पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश गुजरात के राज्यों में सरसों की खेती रबी सीजन में तिलहन के रूप में सबसे अधिक किया जाता है। और अबकी बार सरसों का थोक मंडी भाव सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से अधिक या फिर इसके आसपास ही चल रहा है।

Farmers Sowing Mustard Crops

Farmers Sowing Mustard: सरसों की कीमत एम एस पी से अधिक होने के बावजूद भी अबकी बार बुवाई का क्षेत्रफल कम रहने के आसार हैं। क्योंकि अबकी बार सामान्य औसत से अधिक तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों का रुख सरसों के बजाय अन्य फसल की ओर अधिक दिखाई दिया है।

क्योंकि किसानों को सरसों के अलावा अन्य फसल की ओर रुख करने का मुख्य उद्देश्य अधिक गर्मी में सरसों के बजाय अन्य फसल में अधिक लाभ प्राप्त हो इसलिए किसान सरसों के बजाय अन्य फसल बोना पसंद कर रहे हैं।

 

और अबकी बार सरसों के बुवाई का रकबा घटना है तो फिर विदेश से खाद्य तेल का आयात फिर से बढ़ सकता है। हमारे देश में सबसे अधिक सरसों का उत्पादन राजस्थान प्रदेश में किया जाता है लेकिन यहां पर अक्टूबर महीने के साथ-साथ नवंबर महीने के शुरुआती 20-21 दिन सामान्य से अधिक तापमान होने के चलते यह मौसम सरसों के लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं था।

बता दें कि राजस्थान प्रदेश के कई क्षेत्रों में किसानों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि अबकी बार सरसों की अगेती बुवाई किया गया। लेकिन बीज का सही से उगाव नहीं हो सका। वही बहुत से किसानों के द्वारा सरसों की फसल बिजाई होने पर अधिक तापमान से फसल जल गई, वहीं भूमि में नमी पर्याप्त नहीं होने से फसल का नुकसान हुआ। सरसों की फसल एक बार जलने के बाद किसानों ने फिर से फसल की बुवाई किया लेकिन फसल कामयाब नहीं हो पाया जिसके चलते किसानों ने अन्य फसल की ओर रुख किया।

अबकी बार राजस्थान के वे सरसों उत्पादक जिले जहां पर सबसे अधिक सरसों का उत्पादन होता है वहां पर भी अबकी बार सामान्य से दो से लेकर 7 डिग्री सेल्सियस तक अधिक तापमान दर्ज किया गया जिसके चलते सीधा बजाई पर असर हुआ और किसानों के द्वारा सरसों की बुवाई के बजाय किसानों ने आलू व गेहूं की बुवाई करना शुरू किया।

राजस्थान प्रदेश के धौलपुर जिले में सरसों का बुवाई क्षेत्रफल में करीब 25 से लेकर 30% बीज या तो अंकुरित नहीं हुआ है या फिर अंकुरित होने के बाद भूमि में ही सूख गया।

सरसों उत्पादक क्षेत्र में अबकी बार कई समय तो रखवा काटकर आधा ही हो चुका है और राजस्थान प्रदेश में सरकारी आंकड़ों की माने तो 21 नवंबर 2024 तक सरसों का क्षेत्रफल 31.20 लाख हेक्टेयर किया गया है जो की बीते वर्ष से 7.2 % कम है।

अबकी बार अधिक तापमान का असर राजस्थान ही नहीं इसके अलावा हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश गुजरात जैसे सरसों उत्पादक क्षेत्र में भी देखने को मिला है। अबकी बार भारत देश में 10% के करीब सरसों के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट देखने को मिल सकती हैं।

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