Ears of Grain in Paddy Crop: धान की फसल में बालियां का बनना हुआ शुरू, सिंचाई और यूरिया खाद को लेकर, कृषि एक्सपर्ट की सलाह

धान की फसल आप बड़ी हो चुकी है, और फसल में अब बालियां (Ears of Grain in Paddy Crop) का बना भी आरंभ हो चुका है। ऐसे में किसानों को इस सितंबर महीने में ध्यान की फसल की देखभाल करना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि इस समय बारिश कम होती है। तो खेतों में पानी की कमी देखने को मिलती है। जिससे फसल को नुकसान हो सकता है। वह पैदावार भी गिर सकती है। इसलिए किसान अपने खेत में सही समय पर मिट्टी सूखने से पहले ही पानी से सिंचाई कर देना चाहिए। वहीं कई किसान खेत में ज्यादा पानी भरते हैं। उनको भी आवश्यकता से ज्यादा पानी नहीं रखना चाहिए नहीं फसल में विपरीत असर के चलते पैदावार में सीधा असर भी पड़ सकता है।

Ears of Grain in Paddy Crop

किसानों की धान की फसल तकरीबन 60 दिन से 65 दिन का हो चुका है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में स्थित कृषि एक्सपर्ट डॉक्टर एनपी गुप्ता के माने तो इस समय में फसल में बालियां बना आरंभ हो जाता है। को दाना भराव होना शुरू हो जाता है। ऐसे में किसानों को धान की फसल में सिंचाई का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। खेतों में ज्यादा पानी नहीं भरना चाहिए जिससे नुकसान भी हो सकता है। वहीं तेज हवा चलने से फसल गिरने का डर भी रहता है। किसानों को अपनी फसल आवश्यकता के अनुसार ही पानी की सिंचाई करें।

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सिंचाई करने की सही तरीका क्या है

Ears of Grain in Paddy Crop: उनके मुताबिक धान की फसल में किसानों को इस समय पर हल्की सिंचाई करते रहना सही रहेगा क्योंकि खेत में पर्याप्त नहीं रहेगी और ज्यादा तेज हवा के चलते फसल भी नहीं गिरेगा वही किसानों को सिंचाई शाम के समय पर करना चाहिए और ज्यादा पानी का भराव ना रहे इसलिए सुबह के समय पानी को निकाल देना चाहिए ।

इसके अलावा डॉ. एनपी गुप्ता के मुताबिक धान की फसल में अधिक पानी भरा होगा तो मिट्टी में नमी भी ज्यादा हो जाएगा और तेज हवा चलने से पौधे गिर सकते हैं। और फूल भी झड़ सकते हैं। ऐसे में दाने दागी भी हो सकता है। उत्पादन में गिरावट के साथ-साथ क्वालिटी भी डाउन होगा।

अधिक यूरिया का इस्तेमाल के नुकसान

सितंबर का महीना का दूसरा सप्ताह गुजरने को है और इस समय बारिश कम होता है और गर्मी भी अधिक होती है। वही अधिक यूरिया का इस्तेमाल से धान की फसल में भूरा फुदका रोग हो सकता है। जो कि पौधों को चूसने से पौधे सूखने लगते हैं ऐसे में किसानों को समय पर इसकी निगरानी करते रहना चाहिए और खेतों में अधिक पानी ना दें।

धान फसल में किसानों को भूरा फुदका के लक्षण दिखाई दे तो इसकी रोकथाम के लिए प्रति एकड़ में 300 से 400 लीटर पानी के साथ अप्लाइड या ब्रूनो कीटनाशक दवा का छिड़काव कर सकते हैं।

 

नोट: किसानों को किसी भी दवा का इस्तेमाल करने से पहले नजदीकी कृषि विभाग से एक बार संपर्क जरूर करें।

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Conclusion:- आज आपने जाना धान की फसल में दाना और बालियां (Ears of Grain in Paddy Crop) आना शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों को सिंचाई और यूरिया खाद के साथ-साथ भूरा फुदका के लक्षण दिखने पर उसका नियंत्रण कैसे किया जा सकता है अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग से जानकारी और एक बार अवश्य लेना चाहिए।

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