Khaira Disease in Paddy Crop: धान की फसल में खैरा रोग क्यों होता है उसे कैसे ठीक कर सकते हैं, पूरी डिटेल

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Dhan Ki Fasal Me khera Rog: हमारे देश में धान का उत्पादन कई राज्यों में किया जाता है। वहीं भारत में करीब 40 करोड लोग चावल से भोजन करते हैं। इसके अलावा विदेश में भी भारत चावल का निर्यात बड़ी मात्रा में करता है। जिसके चलते चावल की डिमांड हमेशा बनी रहती है। लेकिन किसानों को धान की फसल में उगने से लेकर निकलना तक कई किट और रोग की समस्या दिखाई देती है। इसी में से एक रोग खैरा रोग आ जाता है। जिसके चलते किसानों को धान की पैदावार और दाना पकने में असर पड़ता है।

धान की फसल में खैरा रोग क्यों होता है

यह खैरा रोग धान की फसल में आने में मुख्य भूमिका जिंक की कमी का होना है। जिसके कारण धान फसल का उत्पादन करीब 40% से 45% तक गिरावट आ सकती है। वहीं होने वाले क्वालिटी भी अच्छी नहीं रहती। इसे में किसानों को अपनी फसल की रोपाई करने के बाद से इस रोग की पहचान और नियंत्रण कैसे करें इसकी जानकारी होना बहुत आवश्यक है।

धान की फसल में खैरा रोग को आने से पहले किसानों को रोपाई करने के 20 से 25 दिन में खेत में उगने वाले खरपतवार नियंत्रण करना और देखभाव करना शुरू कर देना चाहिए। आज हम आपको बता रहे हैं धान में खैरा रोग की पहचान और रोकथाम कैसे करें….

 

 

क्या है खैरा रोग के लक्षण

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक धान की फसल में लगने वाले खेरा रोग जिंक की कमी के कारण पौधों की पत्तियों का रंग लाल, हल्के भूरे रंग की दिखाई देती है। इसका प्रकोप होने से पौधों का विकास नहीं होता। और पौधों की पत्तियों में धब्बों होने के साथ मुरझाने लगती है।

देश में मुख्य रूप से उत्तर बिहार राज्य में जिंक की कमी अधिक देखने को मिला है। जिसके चलते किसानों को फसल रोपाई होने के बाद 25 में इस खैरा रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

धान की खेती में फसल पर खैरा रोग का प्रकोप कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक उच्च क्षारीयता और कैल्शियम की मात्रा वाली मिट्टी में भी इस रोग आने की चांस अधिक हो जाते हैं। जिस कारण से फसल में उत्पादन में काफी असर देखने को मिलता है इसलिए मैं पौधों में होने वाले बढ़वार के साथ-साथ फूल और परागण में की असर देखने को मिलता है।

 

 

 

धान फसल को खैरा रोग से बचाव के उपाय

धान की फसल में खेरा रोग की रोकथाम से पहले किसानों को यह जान लेना चाहिए कि जिंक की मात्रा कम होने कारण होता है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इसरो में कीटनाशक या फफूंदनाशक का छिड़काव के रूप में नहीं करना चाहिए।

धान की फसल में आने वाले खेरा रोग का प्रकोप दिखाई देने पर कृषि विभाग की कृषि विभाग के विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही इसका समाधान करना चाहिए।

किसान अपनी फसल में हर 10 दिन के अंतराल पर बुझा हुआ चूना 0.2% व जिंक सल्फेट 0.5% का छिड़काव 15 लीटर पानी के साथ 3 बार कर सकते हैं।

हमने आपको ऊपर बताया बुझा हुआ चूना अगर किसान बुझा हुआ चुना नहीं लेना चाहते हैं। तो उसकी जगह पर यूरिया दो प्रतिशत का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

इसके अलावा किसान अगर इस रोग से जल्द छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपने भूमि की मिट्टी की जांच करवा सकते हैं। और रोपाई से पहले बीच का उपचार करना और खेत में जुताई के साथ खाद और उर्वरक का भी प्रयोग कर सकते हैं।

धान की खेती करने से पहले जमीन की अच्छी और गहरी जुताई करें। जिसमें जिंक सल्फेट 25 (KG) किलोग्राम प्रति हेक्टेयर भूमि में मिला सकते हैं।

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Conclusion:- आज आपने सुपर खेती (www.superkheti.com) धान की फसल में खैरा रोग क्यों होता है उसे कैसे ठीक कर सकते हैं। इसकी पहचान करना। फसल में किसी भी कीटनाशक दवा या बचाव में कार्य करने से पहले किसान अपने आसपास मौजूद कृषि विभाग से एक बार जानकारी जरूर लें लेना चाहिए।

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