गेहूं के पैदावार बढ़ाने में कल्लों की संख्या होता है महत्वपूर्ण, Stubble in Wheat Crop जानें पहला सिंचाई के बाद क्या करें
हमारे देश में गेहूं का खेती रबी सीजन में सबसे अधिक वही जाने फसल है। हमारे देश के अधिकतर राज्यों में 70% तक गेहूं का खेती किया जाता है। हमारे देश में धान के अलावा गेहूं सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसलों में से एक हैं। देश की हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व मध्य प्रदेश राज्यों में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन किया जाता है।
Stubble in Wheat Crop: कृषि विभाग के द्वारा भी किसानों को समय-समय पर खेती के बारे में जानकारी दिया जाता है ताकि किसानों के उत्पादन में वृद्धि हो सके। लेकिन किसानों को खेती करने में कुछ जरूरी आवश्यक बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। गेहूं की फसल में बहुत से ऐसे किस जिनके द्वारा पहली सिंचाई पूरा कर दिया गया है और बहुत पैसे किस अभी पहली सिंचाई किया गया है।
गेहूं में पहले सिंचाई होने के बाद फसल में ऐसी अवस्था जिसमें मुख्य रूप से कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक क्योंकि इस समय पहली सिंचाई का दौर आरंभ हो गया है। इस अवस्था में आकर फसल में पौधों से कल्ले बनने शुरू हो जाते हैं। जो की पैदावार के लिए बहुत ही जरूरी है। क्योंकि इस अवस्था में पहुंचने के बाद किसानों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखकर किसानों को बंपर पैदावार प्राप्त हो सकता है।
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गेहूं की फसल में पहला पानी का क्या है महत्व
Stubble in Wheat Crop: किसानों को जब भी अपने गेहूं में पहली सिंचाई करना है उसका बड़ा रोल होता है। ऐसे में किसानों को फसल में सबसे अधिक ध्यान रखने की जरूरत होता है क्योंकि फसल में पहली सिंचाई 21 से लेकर 25 दिन के बीच करना चाहिए।
अगर किसानों के द्वारा इस समय के दौरान सही समय पर सिंचाई किया तो उन्हें पौधों से तेजी से कल्लो का विकास होने लगता है। वही बहुत से ऐसे किसान जो की खेत में सिंचाई करते समय पुर जमीन को भर देते हैं। उससे भी नुकसान होता है ऐसे में किसानों को जितना आवश्यकता है उतना ही सिंचाई करें। अगर जरूरत से अधिक गेहूं की फसल में पानी भर गया है तो उसे तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए।
गेहूं फसल में उर्वरक डालना
गेहूं की फसल के लिए पोषक तत्व सबसे महत्वपूर्ण होता है जो कि पौधों को बढ़ाने के साथ-साथ पैदावार में भी वृद्धि करते हैं। किसानों के द्वारा सिंचाई करने की तकरीबन 5 से लेकर 6 दिन के बाद नमी थोड़ा कम हो जाए और मिट्टी में पैर रखने पर न घुसे तब नाइट्रोजन यानी यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए और प्रति एकड़ भूमि में 40 से लेकर 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव अवश्य करें।
खेत में यूरिया के उपयोग के चलते गेहूं का फसल पौधे हरे भरे दिखाई देते हैं और इसे तेजी से विकास के साथ-साथ तेजी से कल्ले भी निकलने में सहायता मिलती है।
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यूरिया का गेहूं फसल के लिए महत्व
गेहूं की खेती के लिए यूरिया का विशेष महत्व रहता है। किसान ऑर्गेनिक खाद बायोबीटा का यूरिया के साथ प्रयोग करें तो फसल में ग्रोथ और पोषक तत्व मिलने में और सहायता मिलेगा। ऐसे में किसान अपनी एक एकड़ गेहूं की फसल में यूरिया के साथ बायोबीटा 5 किलो ग्राम की मात्रा में साथ में मिलाकर छिड़काव करेंगे तो फसल में तेजी के साथ विकास होगा।
वहीं किसानों के लिए जानकारी बता दें कि बायोबीटा के अंदर कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, मैंगनीज, सल्फर, जिंक व कोबाल्ट के जैसे कई तरह के पोषक तत्व मिलता है। इसके अलावा जो भूमि में मौजूद पोषक तत्व उनको भी शुक्रिया करने में मदद करता है। जिस कारण से पौधों की कल्लों की संख्या में बढ़ोतरी होता है।
बायोबीटा का विकल्प क्या है
वहीं जिन किसानों को बायोबीटा का उपयोग नहीं कर पाते या फिर नहीं मिल पाता है उनको इसके विकल्प के रूप में फेरस सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट व जिंक सल्फेट का उपयोग कर सकते हैं। वहीं इसके साथ किसान फेरस सल्फेट 500 ग्राम व जिंक सल्फेट 500 ग्राम और मैग्नीशियम सल्फेट इतनी ही मात्रा में उपयोग में कर सकते हैं।
बता दे कि किसान इन तीनों पोषक तत्व उर्वरक को 100 लीटर पानी में अच्छे से घोल बनाकर शाम के समय अपने गेहूं की फसल में स्प्रे के द्वारा छिड़काव करें। अगर किसान ऐसा करते हैं तो गेहूं के पौधों में तेजी के साथ वृद्धि होगा और गेहूं की फसल में उर्वरक इस्तेमाल होने से ग्रोथ भी बढ़ जाएगा। अधिक जानकारी हेतु कृषि विभाग से संपर्क करें।
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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जसवंत है। मैं सुपर खेती (Super Kheti) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों अपनी कृषि से जुड़ी सभी फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दिया जाता है। मैं किसानों के लिए ताजा न्यूज और योजनाओं के बारे में आर्टिकल लिखना पसंद करता हूं। मैं लगातार 3 साल से वेबसाइट पर काम कर रहा हूं।