Sarso Ki Kheti: किसानों के द्वारा सरसों की बुवाई करने के बाद अब सरसों बड़ा हो रहा है। इसी बीच किसानों को फसल में होने वाले कीट व रोग की समय पर देखभाल कर अवश्य करना चाहिए। बता दे की सरसों की फसल में सफेद रतुआ (Mustard White Rust Disease) या फिर सफेद रोली रोग (White Roli Disease) किसानों को अक्सर दिखाई देता है। यह लोग सरसों की फसल में सर्वाधिक लक्षण देखने पर ही किसानों को इसका रोकथाम किया जाए तो फसल में नुकसान से बचा जा सकता है।
जानें Mustard White Rust Disease की जानकारी
लेकिन जब तक किसान इस रोग के चलते अंतिम स्टेज में पहुंचने के बाद देखते हैं। और इसका उपाय करने के बारे में सोचते हैं। लेकिन उसे समय इसको पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता। और जब तक यह सरसों की फसल में नुकसान करने की प्रक्रिया तक पहुंच जाता है। इस प्रकार किसानों को सफेद रतुआ रोग को कैसे पहचान सकते हैं. इसके नियंत्रित करने के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए। इस रिपोर्ट के द्वारा पूरी जानकारी से जानेंगे…
किसान सफेद रतुआ रोग को कैसे पहचाने
Mustard White Rust Disease: सरसों की फसल अब धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है और फूल आना आरंभ हो चुका है। इस समय के दौरान किस सरसों की फसल में सफेद रतुआ व डाउन मेलोडी रोग दिखाई देने लगते हैं। और इन दोनों ही रोगों की पहचान किसानों के लिए करना काफी मुश्किल रहता है। और इन दोनों रोगों को किसान पहचान से अलग अलग अंतर नहीं कर पाते हैं।
इसे भी पढ़ें 👉 किसानों को लेना है गेहूं, सरसों और चना में बंपर उत्पादन, जानें सिंचाई करने की सही विधि और कब करना चाहिए
किसान अपनी सरसों की फसल में देखने पर पौधों के पत्तों के निचले भाग पर सफेद रंग का छोटे-छोटे से फफोले देखने को मिलते हैं। और पौधे की निकली पत्तियों पर देखने पर यह अधिक मात्रा में दिखाई देखने को मिलेगा। सफेद रतुआ रोग के ये फफोले छोटे देखने के बाद धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और पत्तियों सूखने लगते हैं।
सरसों की फसल में फलियां बनने के निचले भाग में भी फुल कर बड़ा हो जाता है। और फलियां पर सफेद रंग का फफूंद हो जाता है पत्ते सूखने के चलते पौधे को खाना बनाना बंद कर देता है। जिसके चलते फलियों में दाना कम या फिर नहीं बन पाता।
सफेद रतुआ रोग सरसों की फसल में कब लगता है
सरसों की फसल में जब भूमि में अधिक नमी बढ़ने के साथ-साथ तापमान में गिरावट होने के चलते यह रोग में अधिक मात्रा में दिखाई देता है। जब किसानों के द्वारा अपने सरसों की फसल में पानी दिया जाता है और धुंध अधिक आने पर और सूर्य के ना निकलने पर सरसों के पौधे के नीचे वाले पत्ते अधिक गीला रहता है जिसके कारण Mustard White Rust Disease रोग तेजी के साथ फैलता है।
किसान सफेद रतुआ रोग की रोकथाम कैसे करें
इस समय के दौरान सरसों की फसल में फूलों की स्टेज पर पहुंच जाता है। ऐसे में किसानों के लिए कीटनाशक का स्प्रे छिड़काव करना काफी मुश्किल भरा रहता है। लेकिन फिर भी किसानों को इसकी रोकथाम के लिए स्प्रे करना आवश्यक हो जाता है। ऐसे में किसानों को अपनी सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग के बचाव में हमने कुछ नियंत्रण में उपाय बताए। जिसके चलते सरसों की फसल में सफेद रतुआ से बचाव करना चाहिए।
1). किसान अपनी फसल में प्रति एकड़ 1 किलोग्राम
रिडोमिल गोल्ड का स्प्रे द्वारा छिड़काव करें।
2). किसानों को सरसों फसल में प्रति एकड़ 500 ग्राम सुमितोमो (हारु) टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% डब्लूजीर की मात्रा के अनुसार छिड़काव करें।
इसे भी पढ़ें 👉 पीएम किसान योजना में जल्दी से किसान कर ले ये जरूरी काम, नहीं तो हो जायेगे बाहर
महत्वपूर्ण बातें: Mustard White Rust Disease के लिए किसानों को ऊपर बताए गए स्प्रे का छिड़काव सरसों की फसल में 1 से 2 बार जरूर करना चाहिए। जिसके चलते सरसों की फसल में होने वाले नुकसान से इन रोगों से बचाव हो। सफेद रतुआ रोग के बचाव में छिड़काव करने से पहले एक बार जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विशेषज्ञ या कृषि विभाग से अवश्य संपर्क करना चाहिए।
WhatsApp ग्रुप में जुड़े के लिए 👉 यहां पर दबाएं
इसे भी पढ़ें 👉 गेहूं में कल्ले बढ़ाने और अधिक फुटाव के लिए क्या डालें, जानें कृषि विशेषज्ञों की सलाह
इसे भी पढ़ें 👉 पाले से सरसों फसलों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए, कैसे नुकसान पहुंचता है, जानें आसान तरीका

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जसवंत है। मैं सुपर खेती (Super Kheti) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों अपनी कृषि से जुड़ी सभी फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दिया जाता है। मैं किसानों के लिए ताजा न्यूज और योजनाओं के बारे में आर्टिकल लिखना पसंद करता हूं। मैं लगातार 3 साल से वेबसाइट पर काम कर रहा हूं।