हमारे देश में किसानों के द्वारा मक्का की खेती का हिस्सों में किया जाता है और किसानों को अपने उपज से अधिक इनकम बढ़े और उनको खुशहाली मिले इसलिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से समय-समय योजनाओं और सब्सिडी के साथ-साथ मदद किया जाता है।
Makka KI Kheti Subsidy Yojana
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की ओर से योगी सरकार ने किसने की इनकम बढ़ाने का लक्ष्य रखा है जिसमें पूरे यूपी प्रदेश को त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के जरिए कवर किया हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों को मक्का की खेती के लिए हर तरह का बीज जिसमें 15000 रुपए प्रति क्विंटल अनुदान दिया जा रहा।
मिलने वाले इस अनुदान में बीज की बात करें तो देशी पॉप कॉर्न, संकर व स्वीट कॉर्न शामिल है। बता दे की पर्यटक की अधिकता वाले बागों में देसी पॉप कॉर्न, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की ज्यादा डिमांड है। जिसके चलते सरकार के द्वारा कार्यक्रम के माध्यम से इसको बढ़ावा दिया जा रहा।
किसानों को मक्का के उत्पादन व कवर अप को लेकर वैज्ञानिकों के द्वारा एक्सटेंशन प्रोग्राम के माध्यम से जगह-जगह किसान गोष्ठियों में पहुंचकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। लखनऊ में तकरीबन सप्ताह भर पहले ही राज्य स्तरीय कार्यशाला के दौरान इन मुद्दों पर चर्चा किया गया जिसमें किसानों को कैसे ज्यादा लाभदायक बनाया जाए यह भी चर्चा किया गया।
मक्का का लक्ष्य 27.30 लाख मीट्रिक टन
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से अपने इस दूसरी कार्यकाल के दौरान मक्का के उत्पादन को वर्ष 2027 तक दो गुणा करने का लक्ष्य रखा है। जिसको लेकर तय किए गए समय में इसको बढ़कर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य इसको लेकर रकबा में वृद्धि के साथ-साथ प्रति हेक्टेयर प्रति क्विंटल उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा है।
जिसको लेकर “त्वरित मक्का विकास योजना” को योगी सरकार के द्वारा आरंभ किया गया। जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2023 व 24 में 27.68 करोड रुपए का प्रावधान किया है।
यूपी राज्य में अभी तक तकरीबन 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती किया जाता है जिसमें तकरीबन 21.16 लाख मीट्रिक टन कुल उत्पादन होता है। राज्य सरकार की सहायता से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से जुड़ा भारतीय मक्का संस्थान कर रहा है।
प्रदेश में गेहूं वरदान के बाद यह खाद्यान्न का तीसरे प्रमुख फसल जिसमें उत्पादन के साथ-साथ रखवा में बढ़ोतरी वर्ष 2027 तक उत्पादन में दोगुनी करने का लक्ष्य जिसमें मक्का का बहुपरकारी होना है। वहीं भविष्य में इथेनॉल के रूप में भी ज्यादा संभावनाएं बढ़ गया है।
मक्का की खेती में पोषक तत्वों के साथ-साथ उपयोगिता भी है और इसके अच्छे उत्पादन, सहफसली खेती व औद्योगिक प्रयोग किया जाता है। इसका खेती हर तरह के मौसम खरीफ, रबी व जायद के साथ जल निकासी के प्रबंधन वाली हर प्रकार के जमीन में किया जा सकता है।
आपको पता होगा कि मक्का का प्रयोग कुक्कुट, पशुओं के आहार, गोंद, अल्कोहल इंडस्ट्री, कॉस्मेटिक, दवा, ग्रेन बेस्ड एथेनॉल उत्पादन औद्योगिक इकाइयों, वस्त्र और पेपर में किया जाता है। इसके साथ ही इससे बेबी कॉर्न, पॉप कॉर्न, आटा व ढोकला के रूप में खाया जाता है।
आगामी समय के दौरान बहुपरकारी होने के चलते मक्का की मांग में बढ़ोतरी होगा। इसकी मांग में बढ़ने से ज्यादा लाभ प्रदेश की किसानों को हो पाए इसके लिए सरकार के द्वारा मक्का की खेती को लेकर किसानों से लगातार जागरूक किया जा रहा है। किसानों के द्वारा खेती करने की उन्नत तोर तारीख को की जानकारी देना और सेट रिप्लेसमेंट की दर को भी बढ़ रहा है। किसानों को मक्का की फसल में अच्छा उत्पादन के साथ कीमत प्राप्त हो इसको लेकर पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य केदार में लाया जा चुका है।
किसानों के लिए ड्रायर मशीन पर सब्सिडी
जब किसान के द्वारा अपने मक्का की फसल को तैयार किया जाता है। तो उसमें तकरीबन 30% नमी रहता है ऐसे में किसान उत्पादक या उत्पादन करने वाले क्षेत्र में इसको सूखने के लिए उचित व्यवस्था न हो तो फिर इसमें फंगस लगने की संभावना या फिर लग जाता।
जिसको लेकर सरकार के द्वारा ड्रायर मशीन उपलब्ध कराने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। जिसके लिए किसानों को 15 लाख में से 12 लाख अनुदान मिलेगा। ऐसे में कोई भी किसान अपने निजी या फिर उत्पादक संगठन के द्वारा इस मशीन को खरीदना है।
इसी प्रकार से 10000 रुपए का अनुदान पॉप कॉर्न मशीन पर मिल रहा है। वही मक्का की फसल बाय को लेकर भी प्रोसेसिंग से जुड़ी अन्य तरह की मशीनों पर अनुदान मिलता है। राज्य सरकार के द्वारा प्रगतिशील किसानों को उनके उत्पादन के लिए बेहतर तकनीक मिले इसके लिए प्रशिक्षण को लेकर भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान भी भेजा जाता है।
मक्का की कौन कौन सी है उन्नत किस्म
किसानों को अपने भूमि में कृषि जलवायु क्षेत्र के मुताबिक थी उन्नत प्रजाति की किस्म की बुवाई करना चाहिए। जिसके लिए किसान कंचन 25, डंकल डबल, एनके 6240, गोल्ड, डीकेएस 9108, पिनैवला, डीएचएम 117, 900 एम या एचआरएम-1 के प्रजाति से ठीक-ठाक उत्पादक होता हैं। मक्का की फसल तैयार होने के बारे में बातें करें तो वैसे तो यह 80 से लेकर 120 दिन में ही तैयार हो जाती है। वहीं पॉप कॉर्न को लेकर यह केवल 60 दिन में ही तैयार हो जाएगा।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जसवंत है। मैं सुपर खेती (Super Kheti) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों अपनी कृषि से जुड़ी सभी फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दिया जाता है। मैं किसानों के लिए ताजा न्यूज और योजनाओं के बारे में आर्टिकल लिखना पसंद करता हूं। मैं लगातार 3 साल से वेबसाइट पर काम कर रहा हूं।