गन्ना की खेती में पीलापन आने के कौन कौन से है तीन कारण, (Yellowness in Sugarcane Crop) जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान
Yellowness in Sugarcane Crop: गन्ना की खेती (Ganna Ki Kheti) यूपी के मुजफ्फरनगर के साथ ही मेरठ व अन्य भागों में भी फसल में पीलापन दिखाई देने लगा है। गन्ना की फसल में पीलापन की सूचना विभाग को मिलते ही भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों के द्वारा एक टीम का गठन किया गया। जो की 27, 28 और 29 अगस्त को किसानों की फसल का निरीक्षण करने के बाद से अपनी एक रिपोर्ट में गन्ना की फसल में होने वाले पीलापन के क्या कारण रहे और इसका उपचार और बचाव के लिए के बारे में सुझाव दिया गया।
कौन कौन से कीट के लक्षण मिले
बता दे की मिली जानकारी के मुताबिक गन्ना विकास विभाग के द्वारा नियुक्त की गई टीम में अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट मुताबिक गन्ना की फसल में होने वाले पीलापन की पहचान के रूप में मुख्य रूप से उकठा रोग यानी विल्ट के शुरुआती लक्षण देखने को मिले।
वहीं फसल में मिलीबग व जड़ बेधक किट का प्रकोप कहीं कहीं दिखाई दिया है। जिसके चलते गाना की फसल में पीलापन (Yellowness in Sugarcane Crop) करने के साथ ही सूख रही है।
कौन सी किस्म अधिक दिक्कत
बता दे कि यह तीनों किट का प्रभाव मुख्य रूप से गन्ना की कुछ किस्म में दिखाई दिया है जैसे:- को. बी.एस.आई.8005 किस्म, को.बी.एस.आई.0434 किस्म, को.बी.एस.आई. 3102 किस्म, को.11015 किस्म और को. 15027 गन्ना की किस्म जो उत्तर प्रदेश राज्य के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके अलावा जो प्रदेश में उपयुक्त माना गया जैसे को. 0118 ओर को. 15023 किस्म पर किट का प्रभाव ज्यादा मिला है।
किस कारण हुआ किट का अधिक प्रभाव
Yellowness in Sugarcane Crop: कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गन्ना की फसल में होने वाले इन किट का असर ज्यादा प्रदेश में होने वाली सामान्य से कम बारिश होना, जमीन में नमी पर्याप्त न होना, अधिक तापमान के साथ-साथ कम आर्द्रता भी मुख्य कारण माना गया। जो जड़ बेधक किट व उकठा रोग के लिए अनुकूल माना जाता है।
बताते कि किसानों को गन्ना विभाग के द्वारा सलाह दिया गया है। की सबसे पहले अपने खेतों का सही समय पर निरीक्षण करने के साथ-साथ फसल में होने वाले पीलापन को सही करने के लिए पीलापन का कौन सा कारण है। Yellowness in Sugarcane Crop उसका जानना बहुत आवश्यक है। उसके बाद बचाव में उपचार करना बहुत आवश्यक हो जाता है।
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क्यों है गन्ना की फसल में पीलापन
Ganna Fasal Me Pilapan: गन्ना की खेती में पीलापन को लेकर गन्ना विकास विभाग (उत्तर प्रदेश) के मुताबिक पीलापन आने का सबसे मुख्य कारण उकठा रोग है। जो कि एक फंगस “फ़्यूज़ेरियम सेकरोई” से होता है। बता दे की गन्ने की फसल में पौधों को उकठा रोग गंभीर रूप से प्रभावित जो की Fusarium Cercoei के नाम से जाने वाले फंगस के कारण होता है।
इसकी पहचान: गन्ने के अंदर वाले हिस्से को इसके लक्षण होने पर खोखला दिखाई देने लगता है वही गाने के वजन को कम करता है। और यह लाल भूरा रंग का देखने को मिलेगा। इसके अलावा इससे गन्ना अंकुरण क्षमता को बिल्कुल खत्म करता है। वहीं इससे पैदावार के साथ-साथ निकल मिलने वाली चीनी की मात्रा भी काम हो जाता है।
इसके अलावा इसकी पहचान के लिए बता दें कि जब किसी इसको छिल कर दिखा जाए तो भूरे रंग के धब्बा या पापड़ी का रंग भूरा या बैंगनी में चेंज हो जाएगा या फिर तेज गंध भी आना इसका एक लक्षण हो सकता है।
रोकथाम करना: फसल में उकठा रोग की रोकथाम के लिए सिस्टमिक फंजीसाइड (Systemic Fungicide) के छिड़काव की सलाह दी जाती है।
जैसे :- किसानों को अपनी फसल में हर 15 से 20 दिन में बीच कार्बन्डाजिम 50 डब्लू.पी. (Carbondazim 50 WP) 2 ग्राम या फिर थायोफिनेट मिथाइल 70 डब्लू.पी. (Thiophene Methyl 70 WP) 1.3 ग्राम कीटनाशक दवा प्रति लीटर पानी के साथ 2 बार ड्रेंचिंग करना चाहिए।
इसके बाद गन्ना की फसल में सिंचाई करना है। और फसल की पौधों की जड़ों में गली सड़ी गोबर खाद 40 से 80 किलोग्राम को 4 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा जो प्रति एकड़ में डालें।
गन्ना फसल में कौन से 2 किट से सूखापन
गन्ना फसल में गन्ना विकास विभाग की टीम ने जो 2 किट सूखापन आने का जड़ बेधक कीट और मिली बग कीट को माना है।
जड़ बेधक कीट
गन्ने की फसल में जड़ बेधक किट को पीलापन आने का एक कारण माना गया। इसके प्रकोप से फसल में पीलापन के बाद सूखने लगता है। यह किट खेत में आने पर पौधों की जड़ व तना को भारी नुकसान करता है। जिसके चलते फसल में पीला होने के बाद सूख जाएगा।
पहचान: यह किट का लार्वा जो हल्का पीला रंग का दिखाई देता। जो बाद में नारंगी-भूरा रंग का दिखाई देता है।
जड़ बेधक कीट से बचाव: जड़ बेधक किट का प्रकोप देखने पर किसानों को बाइफ्रेन्थ्रिन 10 ई.सी. (Bifuranthrin 10 EC) 400 मिली, या फिर क्लोपाइरीफास 50 ई.सी. (Clopyrifos 50 EC) 1 लीटर, या फिर इसके अलावा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. (Imidacloprid 17.8 SL) 200 मिली जो 750 लीटर पानी के साथ कर सकते हैं। या फिर इसके अलावा फिप्रोनिल 0.3 जी (Fipronil 0.3g) का 10 से 12 किलोग्राम प्रति एकड़ में ड्रेंचिंग करें। इसके बाद फसल में सिंचाई करना है।
मिलीबग किट पहचान
गन्ना फसल में मिलीबग किट जो कि गुलाबी, अंडाकार का दिखाई देता है। और यह गन्ना की बनने वाली गांठ या फिर पत्ती के नीचे जो सफेद मैला लेप में दिखाई देगा। इस किट से फसल में पीलापन आने से फसल की वृद्धि रुक जाता है।
कैसे करें बचाव: गन्ना फसल में मिलीबग किट की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. (Imidacloprid 17.8 SL) प्रति एकड़ 200 मिली लीटर का 675 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
या फिर इसके अलावा किसान मोनोक्रोटोफास 36 एस.एल. (Monocrotophos 36 S.L.) प्रति एकड़ में 750 मिली लीटर जो 675 लीटर पानी के साथ छिड़काव करना चाहिए।
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Conclusion:- आज आपने जाना गन्ना की फसल में पीलापन (Yellowness in Sugarcane Crop) के बाद सूखने के तीन कारण जो 3 तरह के कीट और रोग से होता है। और इसका उपचार और बचाव में क्या करना चाहिए। किसानों को गन्ना की फसल में किसी भी दवा या कीटनाशक का उपयोग करते समय एक बार अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क अवश्य करें।