Top 20 Mustard Variety in 2024: जानें सरसों 20 किस्में सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली सरसों का बीज कौन सा है?

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किसानों को सरसों 20 किस्में जिससे मिलेगा सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली सरसों का बीज कौन सा है आइए जानें Top 20 Mustard Variety in 2024….

Sarso Ki Kheti: रबी का सीजन आरंभ होने में अब कुछ ही दोनों का समय रह गया है। और रबी के मौसम में भारत के कई राज्यों में सरसों की बुवाई का कार्य शुरू होगा। हमारे देश में सरसों की बुवाई का कार्य सबसे अधिक राजस्थान प्रदेश में होता है। वहीं इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी सरसों की खेती किया जाता है।

Top 20 Mustard Variety in 2024: किसान भाइयों को सरसों की फसल मे शानदार पैदावार मिले इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है बीच की क्वालिटी। यानी सरसों के बीज अच्छी किस्म का होना चाहिए ताकि किसानों को कम खर्च करना पड़े और अधिक लाभ भी मिले। किसान भाइयों आज हम आपको इस रिपोर्ट के द्वारा बताएंगे सरसों की 20 टॉप किस्म (Top 20 Mustard Variety in 2024) के बारे में जानकारी, इसके साथ ही सरसों में सिंचाई कितना करना चाहिए। और कब करना चाहिए। खाद डालने की मात्रा, खरपतवार नियंत्रण, भूमि कैसे तैयार करें आदि सभी जानकारी आपको इस आर्टिकल के द्वारा मिलेगी तो आप हमारे साथ www.superkheti.com जुड़े रहें।

20 Sarso Ki Best Variety : किसान भाइयों आप सभी को पता होगा कि सरसों की खेती से हमें कम खर्चे में और कम समय में अधिक लाभ मिलता है। तो हमें इस खेती पर अच्छे से किस्म का चयन करना और सही से सभी कार्य पूरे करने पर अधिक लाभ प्राप्त होगा। सरकार के द्वारा सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Mustard MSP Rate) यानी एमएसपी प्राइस 5650 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

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सरसों की फसल के लिए 20 बेस्ट वैरायटी (Top 20 Mustard Variety in 2024)

जिसके चलते किसानों को काफी आर्थिक लाभ मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में और घरेलू बाजारों में भी मांग बढ़ रही है। ऐसे में किसानों को अपनी सरसों की फसल में सही किस्म का चुनाव करना बहुत जरूरी है और सही समय पर सभी कार्य पूरे करेंगे तो अच्छा लाभ प्राप्त होगा। सरसों की फसल को जहां पर पानी की सुविधा है। और जहां पर पानी की सुविधा नहीं है। वहां पर भी आसानी से खेती कर सकते हैं। आइए जानते हैं सरसों के टॉप किस्म (Sarso Ki Top Variety 2024) पूरी जानकारी…

1. सरसों की वैरायटी पायनियर 45s46 की विशेषताएं

Mustard Variety Pioneer 45s46 :- सरसों की वैरायटी पायनियर 45s46 कि यह किस्म सरसों अगेती बुवाई के लिए सबसे अच्छी है। सरसों की इस किस्म में अच्छे पानी की आवश्यकता के साथ-साथ काली मिट्टी और भारी मिट्टी की आवश्यकता रहती है। इसके पौधों की ऊंचाई 160 से 178 सेमी तक होता है। और इसको पकने में 125 से 128 दिन का समय लगता है।

सरसों की इस वैरायटी में प्रति एकड़ 13 से 15 किलोमीटर तक उत्पादन देने की क्षमता तेल की मात्रा की बात करें तो 42% तक पाया जाता है। वही रोगों की बात करें तो इस किस्म में सफेद रतुआ (white Rust) और सफेद फफूंदी (Downy Mildew) के प्रति सहनशील बनाया गया है।

सरसों की इस किस्म में किसानों को मुख्य रूप से इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कि पकने के बाद सही समय पर कटाई करें। अगर समय पर कटाई नहीं होगा तो दाने झड़ने की समस्या देखने को मिलता है। पायनियर सरसों बीज 45s46 कीमत मार्केट या फिर कंपनी के द्वारा जानकारी प्राप्त करें।

2. सरसों पायनियर 45s42 की विशेषताएं

Mustard Variety Pioneer 45s42:- दोस्तों सरसों की यह किस एम पायनियर सरसों 45s42 मैं उत्पादन की बात करें तो यह प्रति एकड़ 11 से 13 कुंतल तक उत्पादन देने वाली किस्म और इस किस्म में भी पौधों की ऊंचाई 160 से 175 सेंटीमीटर रहती है। इस में 42% तेल की मात्रा मिलती है।

3. सरसों किस्म पायनियर 45s47 की विशेषताएं

Mustard Variety Pioneer 45s47:- सरसों की किस्म में से यह भी पायनियर की 45s47 वैरायटी भी अच्छी मानी जाती है और इस किस्म में पकने के समय की बात करें तो 122 से 25 दिन का समय रहता है। इस किस्म में पौधों में ज्यादा शाखाएं और अधिक आकार में देखने को मिलती है। सरसों की इस किस्म को हल्की मिट्टी से लेकर भारी मिट्टी तक उत्पादन ले सकते हैं। इस किस्म को हरियाणा, राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात उत्तर प्रदेश राज्यों में जहां पर हल्की और रेतीली मिट्टी है वहां पर अच्छी पैदावार देती है।

4. सरसों किस्म बायर 5222 की विशेषताएं

Mustard Variety BAYER 5222 :- सरसों की बायर 5222 किस्म को किसान अगेती और मध्यम समय में भी लगा सकते हैं। इसमें काली और भारी मिट्टी होने के साथ-साथ अच्छे पानी की आवश्यकता होगी। इस कम में सरसों तेल 40 से 41% होता है वहीं इसके पौधों की लंबाई 160 से 178 सेंटीमीटर तक रहता है।

सरसों की बायर 5222 किस्म बुवाई करने के बाद 125 से 128 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस कम में प्रति एकड़ उत्पादन 12 से 14 क्विंटल तक रहता है। किसानों को इस सरसों किस्म की बुवाई समय पर करना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन मिले।

5. सरसों किस्म बायर 5210 की विशेषताएं

Mustard Variety BAYER 5210 :- सरसों की इस वैरायटी को किस भरी हुई मध्य जमीन में भी लगा सकते हैं। इसकी बुवाई का कार्य अगेती या फिर मध्य समय में करने पर प्रति एकड़ 12 से लेकर 14 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होगा। बुवाई करने के बाद 125 से 128 दिन में कटाई के लिए तैयार होगा।

6. सरसों किस्म एडवांटा 414 की विशेषताएं

Mustard Variety Advanta 414 :- सरसों किस्म एडवांटा 414 को माध्यम से भारी जमीन में बुवाई किया जा सकता है। इस किस्म को अगेती और मध्यम समय में बिजाई करना चाहिए। पककर तैयार होने में 125 से 130 दिन के आसपास समय लगता है।

सरसों की इस वैरायटी में तेल की मात्रा 40 से 42% ऊंचाई की बात करें तो पौधों की 150 सेंटीमीटर तक रहता है प्रति एकड़ उत्पादन 12 से 14 क्विंटल तक मिल सकता है। इस किस्म की बुवाई का कार्य किसानों को जल्द ही पूरा करना चाहिए।

7. सरसों किस्म श्री राम 1666 की विशेषताएं

Mustard Variety Shri Ram 1666 :- श्रीराम 1666 सरसों का बीज सरसों को किसान भारी, हल्की व मध्यम जमीन में भी बिजाई कर सकते हैं। सरसों की इस वैरायटी को किसान अगेती और पछेती दोनों में बुवाई किया जा सकता है। इस को बिजाई के बाद 125 से 30 दिन में पक्का तैयार होगा पौधों की लंबाई 170 से 172 सेंटीमीटर तक होगा। इस किस्म में उत्पादन की बात करें तो प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल और तेल की मात्रा 40 से 41% तक रहता है।

8. सरसों किस्म आर एच 30 की विशेषताएं

Mustard Variety RH – 30 :– सरसों की इस किस्म आर एच 30 को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म की बुवाई पानी वाले और बिना पानी वाले क्षेत्र में भी कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई इस किस्म को पंजाब, हरियाणा के साथ पश्चिमी राजस्थान के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।

तेल की मात्रा 30 से 40% के आसपास रहता है। इसको तैयार होने में 132 से 135 दिन का समय लगता है। सरसों किस्म आरएच 30 का उत्पादन प्रति हेक्टेयर में 16 से 20 क्विंटल सही समय पर बुवाई करने पर उत्पादन मिलता है। इस सरसों की बुवाई का समय 15 से 20 अक्टूबर के आसपास अच्छा माना जाता है।

सरसों की इस वैरायटी को अगेती और पछेती दोनों तरह से कर सकते हैं। जो किसान मिश्रित खेती करते हैं उसके लिए सबसे अच्छी क्योंकि इसमें फलिया नहीं झड़ती है।

9. सरसों किस्म आर एच 725 की विशेषताएं

Mustard Variety RH – 725 :– सरसों की यह किस्म अगेती और पछेती दोनों ही तरह से बुवाई कर सकते हैं। लेकिन जहां पर अगेती बुवाई होगा वहां पर ज्यादा उत्पादन और पछेती में उत्पादन कम मिलेगा। जमीन की बात करें तो हल्की, माध्यम , भारी सभी में जमीन में लगाया जा सकता है। सरसों की किस्म में उत्पादन 10 से 12 क्विंटल तक होगा। इस किस्म को पकने में 135 से 142 दिन का समय लगता है।

सरसों की इस वैरायटी में शाखाएं लंबी और अधिक फुटाव के साथ दानों का आकार मोटा देखने को मिलता है।

10. सरसों किस्म आर एच 749 की विशेषताएं

Mustard Variety RH – 749 :- सरसों की इस के समय धरो का आकार बड़ा होता है क्योंकि इसमें फलियां लंबी और मोटाई में बड़ी होती है। भारी जमीन में सबसे उपयोगी मानी गई है। उत्पादन की बात करें तो पक्की एकड़ 10 से 11 क्विंटल और पौधों की ऊंचाई माध्यम रहता है। पकने में समय अधिक लगता है जो की 145 से 150 दिन के बीच का है। वही इस वैरायटी में तेल की मात्रा 39 से 40% तक रहता है।

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11. सरसों किस्म आर एच 761 की विशेषताएं

Mustard Variety RH – 761 :- सरसों की यह किम उन किसानों के लिए फायदेमंद रह सकती है जहां पर सिंचाई कम होती है। और इस किस्म में सर्दी के मौसम में पाले का भी असर नहीं होता। इस किस्म को पकने में समय की बात करें तो 135 से 142 दिन का समय रहता है। और प्रति हेक्टेयर में 25 से 26 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती हैं।

12. सरसों किस्म पी टी 303 की विशेषताएं

Mustard Variety PT 303 :- सरसों की यह किस्म जल्दी पकने वाली किस्म है। और इसमें पकने में 90 से 100 दिन ही लगता है। और यह किस हल्की से मध्य जमीन में बुवाई कर सकते हैं। इस किस्म में तेल की मात्रा 40% के करीब है । वहीं प्रति एकड़ उत्पादन 8 से 9 क्विंटल तक होता है।

13. सरसों किस्म आर एल एम 619 की विशेषताएं

Mustard Variety RLM 619 :- सरसों किस्म आर एल एम 619 की किस्म को बुवाई करने के बाद 140 से 142 दिन पकने में लगता है। इस किस्म में प्रति हेक्टेयर 13 से 18 क्विंटल तक उत्पादन देने में सक्षम हैं। वही इस किस्म में तेल की बात करें तो 42% के आसपास पाया जाता है। इस किस्म को हरियाणा, राजस्थान, जम्मू एवं कश्मीर व गुजरात के किसानों के लिए उपयुक्त है।

14. सरसों की किस्म जानें क्रान्ति की विशेषताएं

Mustard Variety Kranti :- सरसों की यह किम उत्तर प्रदेश हरियाणा राजस्थान के लिए उपयुक्त है। और इस मिशन में सरसों के तेल की मात्रा 42% के करीब रहता है। अब बात आती है उत्पादन की इस वैरायटी में प्रति हेक्टेयर 13 से 20 क्विंटल पैदावार और पककर तैयार होने में 130 से 134 दिन का समय लगता है।

15. सरसों की किस्म पूसा बोल्ड की विशेषताएं

Mustard Variety Pusa Bold:- सरसों की इस वैरायटी में पकने का अधिक इंतजार नहीं करना पड़ता। जिसको बुवाई करने के पश्चात 110 से 136 दिन का समय रहता है। इस किस्म को गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली के क्षेत्र में बुवाई अधिक किया जाता है। उत्पादन की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल उत्पादन और तेल की मात्रा 40% के करीब पाया जाता है।

16. सरसों किस्म जय किसान की विशेषताएं

Mustard Variety Jai Kisan:- बता दें कि इस सरसों की किस्म पूसा जयकिसान (बायो 902) का उत्पादन प्रति हेक्टेयर में 25 से 35 क्विंटल तक मिल सकता है। और इसकी सबसे अधिक खेती महाराष्ट्र राजस्थान और गुजरात में किया जाता है। इस समय पानी की आवश्यकता रहती है और यह पकने में 150 से 165 दिन का समय लेती है। और वही तेल की बात करें तो करीब 40% के आसपास तेल पाया जाता है।

17. सरसों किस्म राज विजय सरसों-2 की विशेषताएं

Mustard Variety Raj Vijay Sarso 2 :– राज विजय सरसों 2 की खेती सबसे अधिक मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश में किया जाता है। और इस किस्म में प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल तक उत्पादन और पककर तैयार होने में 120 से 128 दिन का समय लगता है। तेल की मात्रा की बात करें तो इसमें भी 40% के आसपास रहता है।

18. सरसों वैरायटी डबल जीरो सरसों 31 की विशेषताएं

Mustard Variety Pusa Double Zero Mustard 31 :- सरसों की खेती करने वाले किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि इस किस्म को दिल्ली में स्थित पूसा संस्थान के द्वारा विकसित किया गया जो की 2007 में रिलीज हुआ। इस सरसों की किस्म में तेल की मात्रा 41% के करीब है। वही इस किस्म को हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व उत्तर प्रदेश के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। यह पीली सरसों वाली किस्म है और इस किस्म को किसान लगाकर प्रति हेक्टेयर 22 से 25 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है।

19. सरसों किस्म स्टार 10-15 की विशेषताएं

Mustard Variety Star 10-15 :- इस स्टार 10-15 सरसों किस्म को हर प्रकार की मिट्टी में खेती की जा सकती है और यह स्टार एग्रीसीड्स के द्वारा तैयार किया गया एक हाइब्रिड सरसों का किस्म है। जो की प्रति हेक्टेयर 15 से 17 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होगा। सरसों की इस वैरायटी में 2 पानी की आवश्यकता होगी और पकने कुल 120 से लेकर 124 दिन का समय लगता है।

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सरसों की खेती में मौसम और जमीन कैसा हो

हमारे देश भारत में सरसों की खेती रबी के मौसम में किया जाता है। क्योंकि इस समय मौसम का तापमान कम रहने के साथ ही मौसम साफ और सूखा देखने को मिलता है। जोकि सरसों की फसल के लिए बढ़िया है। सरसों की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर तक बिजाई का कार्य होता है। और इस समय तापमान 15 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच में होना चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरसों की खेती के लिए जिन हिस्से में लवणीय और बंजर भूमि है। वह नहीं होना चाहिए और सरसों की फसल के लिए सबसे अच्छी मिट्टी समतल होने के साथ ही पानी का अच्छे से निकासी वाली हो। और बलुई दोमट मिट्टी सरसों की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

बुवाई करने से पहले सरसों खेत को तैयारी कैसे करें

सरसों की बुवाई करने से पहले खेत को अच्छे से समतल करना बहुत जरूरी है। कोई भी तरह का खरपतवार नहीं होना चाहिए और मिट्टी को बारबरा बनाने के लिए ट्रैक्टर के द्वारा 2से 3 बार जुताई करें।

सरसों की बुवाई करने से पहले खेत में नमी होना बहुत आवश्यक है। अधिक नमी नहीं होना चाहिए। लेकिन अगर नमी की मात्रा कम है। तो जुदाई से पहले हल्की सिंचाई करें और समतल करके बुवाई करें।

सरसों की बुवाई के लिए बीज कितना डालें

सरसों की बुवाई करने से पहले आपको एक एकड़ में कितना सरसों का बीज की मात्रा रखना। यह ध्यान रखना सबसे अधिक आवश्यक है। ऐसे में आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिन खेत में पानी की सुविधा है। वहां पर सरसों का बीज प्रति एकड़ 1 से लेकर 2 किलोग्राम तक बीज डाल सकते हैं।

इसके अलावा जहां पर सिंचाई नहीं है। वहा पर सरसों का बीज प्रति एकड़ में 3 किलोग्राम तक डाल सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरसों का बीज कौन सी किस्म का है और जमीन कैसा है उसके हिसाब से डालना चाहिए। इसलिए सही बीच की मात्रा डालना चाहिए।

सरसों की फसल में कितना पानी दें

सरसों की फसल में वैसे तो ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं रहती। लेकिन फिर भी दो सिंचाई की आवश्यकता रहती है। अगर सर्दी के मौसम में बारिश हो जाए तो एक सिंचाई में ही सरसों की फसल पक जाता है। सरसों की फसल में पहली सिंचाई 25 से 30 दिन के बीच में कर देना चाहिए। और इसके बाद अगर बारिश नहीं हो तो दाना बनने से पहले ही पानी देना चाहिए। बता दे की सरसों की फसल में फुवारा से फूलों पर पानी गिरने से नुकसान हो सकता है। ऐसे में जमीन में छोटी क्यारीयों को तैयारी कर पानी देना चाहिए।

सरसों में खाद कितना और कब डालें

किसानों को किसी भी फसल में खाद और उर्वरक डालना बहुत आवश्यक है। और उसी प्रकार सरसों की फसल में कितनी मात्रा में और कब डालना है यह जानना भी आवश्यक है।

पानी वाली भूमि में खाद और उर्वरक

किसानों के द्वारा बोई गई सरसों की फसल में अगर सिंचाई की उचित सुविधा है तो आप बिजाई से पहले प्रति हेक्टेयर में गोबर की खाद जो की गली सड़ी हो 6 से 12 टन डालें। इसके अलावा यूरिया खाद 160 से लेकर 170 किलोग्राम, सिंगल सुपर फॉस्फेट 250 किलोग्राम, म्यूरेट और पोटाश की मात्रा 50 किलोग्राम इसे अलावा जिप्सम 200 किलोग्राम बुवाई से पहले डालें। बिजाई करने के समय यूरिया की मात्रा को आधा ही डालना है और पहली सिंचाई होने के बाद जो भी यूरिया की मात्रा बाकी है वह डालना होगा।

इसके अलावा जिस स्थान पर का प्रबंध नहीं है। ऐसे में किस सरसों की फसल की बुवाई के समय गोबर के खाद जो की गली सड़ी हो 4 से 5 टन डालना चाहिए। यूरिया खाद 85 से लेकर 90 किलोग्राम, सिंगल सुपर फॉस्फेट 125 किलोग्राम, म्यूरेट और पोटाश की मात्रा 33 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में डालें।

सरसों में खरपतवार को नियंत्रण करना चाहिए

किसी भी फसल में खरपतवार का होना उत्पादन में सीधा असर डालता है। ऐसे में किसानों को सरसों की फसल में भी पहली सिंचाई से पहले एक बार निराई गुड़ाई का काम करना आवश्यक है। सरसों फसल की बुवाई के बाद करीब 22 से 26 दिन बाद ही जहां पर अधिक सरसों है वहां से पौधों को उखाड़ कर सही उचित दूरी रखना चाहिए।

वही सरसों की फसल में अगर पहली सिंचाई के बाद भी खरपतवार हो तो दूसरी सिंचाई से पहले एक बार और निराई गुड़ाई करना चाहिए। वही किसान सरसों की बुवाई से तुरंत बाद या फिर 2 दिन के अंदर की प्रति हेक्टेयर में पेंडीमेथालीन 30 ईसी रसायन जो 3.3 लीटर का इस्तेमाल 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

Conclusion :- दोस्तों आज आपने इस आर्टिकल के द्वारा सरसों की 20 टॉप किस्म (Top 20 Mustard Variety in 2024) के बारे में जानकारी प्राप्त की इसके अलावा सरसों की खेती के लिए खेत को तैयार करना, प्रति एकड़ बीज कितना डालना चाहिए, सिंचाई से लेकर खाद और उर्वरक की मात्रा कब और कितना डालना चाहिए। इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण की पूरी जानकारी प्राप्त दिया। उम्मीद है आपको यह Sarson Ki Top Variety जानकारी अच्छी लगी।

FAQ

1. पायनियर सरसों का बीज कौन सा अच्छा है?

Ans. सरसों की किस्म में पायनियर की वैसे तो कई वैरायटी अच्छी है। लेकिन फिर भी सबसे पायनियर सरसों का बीज Pioneer 45s46 वैरायटी है।

2. सरसों की फसल में कितने पानी देना चाहिए?

Ans. सरसों की फसल में अधिकतम वैसे तो पानी की सिंचाई करना चाहिए। पहली सिंचाई 25 से 30 दिन में करना चाहिए। वहीं दूसरी सिंचाई फसल में दाना बनने से पहले करना चाहिए। अगर बारिश हो तो दूसरी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।

3. 1 एकड़ में सरसों का कितना बीज डालें?

Ans. सरसों की बिजाई के लिए जिस भूमि में पानी से सिंचाई सुविधा है। वहां पर 1 से 2 किलोग्राम बीज और जहां पर पानी की सुविधा नहीं है तो 2 से 3 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं।

4. सरसों की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

सरसों पकने में करीब 110 दिन से लेकर 140 दिन तक में तैयार हो जाएगी। सरसों की खेती के लिए किसानों के द्वारा चयन किया का सरसों की किस्म का है उस पर निर्भर करता है कि कितने दिन में पककर होती हैं।

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